साधक को अपने स्वयं के भीतर स्थित परमात्मा से जोड़ता है

१३५ नव-जिज्ञासुओं को दी गई इस्सयोग की शक्तिपात-दीक्षा
पटना, २२ दिसम्बर। प्रत्येक मनुष्य में परमात्मा अपनी पूरी दिव्यता के साथ उपस्थित रहते हैं। मनुष्य निरंतर बाहर की ओर देखते रहने के कारण अपने भीतर ही स्थिति परमात्मा की ओर नहीं देख पाता है। जीवन भर संसार में उलझा, अपने जीवन के लक्ष्य को बिसरा कर समय नष्ट करता जाता है। उसे भीतर झांकने की विधि भी नहीं मालूम हो पाती है। "इस्सयोग की साधना पद्धति" उसे स्वयं से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त करती है।

यह बातें रविवार की संध्या, अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के तत्त्वावधान में, गोलारोड स्थित एम एस एम बी भवन में आयोजित "शक्तिपात-दीक्षा कार्यक्रम" में अपना आशीर्वचन देती हुईं, संस्था की अध्यक्ष एवं ब्रह्म-निष्ठ सद्गुरुमाता माँ विजया जी ने कही। इसके पूर्व माताजी ने १३५ नव-जिज्ञासु स्त्री-पुरुषों को, इस्सयोग की सूक्ष्म आंतरिक साधना आरंभ करने के लिए आवश्यक, शक्तिपात-दीक्षा प्रदान की। 

यह जानकारी देते हुए संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि कार्यक्रम का आरंभ, भजन-संयोजिका किरण प्रसाद के संयोजन में, इस्सयोग की विशिष्ट शैली में किए जाने वाले अखंड भजन-संकीर्तन से हुआ। प्रसाद वितरण के साथ दीक्षा-कार्यक्रम संपन्न हुआ।

इस अवसर पर संस्था के संयुक्त सचिव उमेश कुमार, सरोज गुटगुटिया, लक्ष्मी प्रसाद साहू, किरण प्रसाद, माया साहू, अवधेश प्रसाद, प्रदीप गायत्री, वीरेंद्र राय, आनन्द किशोर खरे, अंजलि मंजीता, प्राणपति सिंह, अमित राज लालू और प्रभात चंद्र झा समेत सैकड़ों की संख्या में साधक-गण उपस्थित थे।

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