वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख नामों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की पीठ ने तीसरे दिन सुनवाई  कर अतरिम आदेश देकर  अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा और 22 अगस्त को फिर सुनवाई का डेट भी दिया है।
नई दिल्ली/पटना। SIR का समय और तौर-तरीके का विरोध आज रंग लाई। एक दिन पहले SIR को वोटर्स फ्रेंडली कहने वाली सुप्रीम  
कोर्ट ने बिहार में वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख नामों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि हर नाम के आगे हटाने का कारण बताया जाए और सूची जिला, प्रखंड, पंचायत स्तर पर सार्वजनिक की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चुनाव आयोग को सख्त निर्देश दिए हैं। 
कोर्ट ने आदेश दिया है कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख लोगों के नामों की पूरी सूची मंगलवार तक जिला स्तर पर सार्वजनिक की जाए, और प्रत्येक नाम के आगे विलोपन का कारण भी स्पष्ट रूप से लिखा जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि यह सूची प्रखंड और पंचायत स्तर के सरकारी कार्यालयों में भी चस्पा की जाए। साथ ही अखबार और टीवी चैनलों के माध्यम से जनता को इसकी जानकारी दी जाए। कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मतदाता अपना वोटर आईडी नंबर डालकर ऑनलाइन अपना नाम सूची में खोज सकें।
बिहार विधानसभा चुनाव से दो महीना पहले 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं। चुनाव आयोग के अनुसार 22 लाख मतदाता मृत पाए गए, वहीं 36 लाख लोग राज्य से बाहर चले गए या सत्यापन के दौरान नहीं मिले जबकि 7 लाख ऐसे मतदाता थे जिनके नाम दो जगह दर्ज थे। ऐसे कुल 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं।
पहले की तरह ड्राफ्ट लिस्ट मेंभी गडबडियां उजागर हो रही हैं। जीवित को मृत दिखाने के साथ मृत के भी नाम दर्ज पाये गये है। इसके कारण आयोग की फजीहत हो रहो है।
जानकारों का मानना है सूची बनाने के काम मे लगे कर्मियों को पर्याप्त समय सहित जबाबदेह बनाने के साथ सख्त दंड का प्रावधान अपेक्शित है।
चुनाव आयोग की इस कार्रवाई को लेकर कई राजनीतिक दलों, नेताओं और सामाजिक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बिहार चुनाव से ठीक पहले इस तरह से बड़े पैमाने पर नाम हटाना संदेहास्पद है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान यह अंतरिम आदेश जारी किया और कहा कि 22 अगस्त को फिर से सुनवाई होगी। कोर्ट ने आयोग से यह भी कहा है कि वह जिला स्तर से आदेश के पालन की विस्तृत रिपोर्ट भी प्रस्तुत करें।

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