दिनकर सांस्कृतिक बोध एवं राष्ट्रीय चेतना के महान कवि हैं : डॉ अनिल सुलभ

 हिन्दी प्रचारिणी सभा अलीगढ़ के तत्वावधान में रविवार को स्थानीय एस जे डी मेमोरियल विद्यालय के सभागार में, राष्ट्र कवि दिनकर की 117 वीं जयंती के उपलक्ष्य में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आरंभ हुई। संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन पटना के यशस्वी अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि   दिनकर अपने समय संदर्भो से निरंतर संवाद करने वाले साहित्य साधक हैं।वे उतर छायावाद के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कवि हैं।उनका साहित्य जागरण का साहित्य है।उनके काव्य में जागरण एवं राष्ट्र बोध का भाव भरा हुआ है।उनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि था। वे सच्चे अर्थों में एक पूर्ण तथा राष्ट्र-बोध से संपन्न सांस्कृतिक चेतना के कवि थे।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के निदेशक डा सुनील बाबू राव कुलकर्णी ने कहा कि दिनकर बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार एवं राष्ट्र कवि थे। उन्होंने गद्य एवं पद्य दोनों में विपुल साहित्य का सृजन किया है। 

आरम्भ में बीज-वक्तव्य देते हुए रांची विश्व विद्यालय में हिन्दी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो जंग बहादुर पांडेय ने दिनकर को राग, आग और वैराग्य का कवि बताया। नेपाल जनकपुर से आये हुए विद्वान डा अजय कुमार झा ने कहा कि दिनकर आध्यात्मिक चेतना के महाकवि थे। आकाश वाणी अलीगढ़ के निर्देशक अनेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि दिनकर का साहित्य बहुमुखी है। केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के प्राध्यापक डा पुरुषोत्तम पाटिल ने कहा कि दिनकर सामाजिक समरसता और प्रगतिशील चेतना के कवि रहे हैं। दिल्ली से आई हुई कवयित्री डा पूनम माटिया ने दिनकर को प्रेम और श्रृंगार का कवि बताया।इस अवसर पर डा पुष्पा रानी, कुमारी मनीषा,राजीव शर्मा,डा नीलम शर्मा , अवधेश अवधेश अग्रवाल,डा दिनकर राव चतुर्वेदी,डा अनिता उपाध्याय,डा विकास चंद्र गुप्ता,डा अखिलेश चंद्र गौड़ आदि वक्ताओं ने भी अपने व्यक्त किए।

आगत अतिथियों का भव्य स्वागत एवं संचालन संगोष्ठी के संकल्पक एवं संयोजक डा दिनेश कुमार शर्मा ने किया। सरस्वती वंदना डा दौलत राम शर्मा ने, स्वागत गान डा सोमवती शर्मा ने और धन्यवाद ज्ञापन डा सुरेंद्र कुमार गुप्ता ने किया।

Top