सेठ गोविंद दास की जयंती पर हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ कवि-सम्मेलन, पत्रिका
सेठ गोविंद दास ने देश और हिन्दी के लिए समस्त वैभव का त्याग कर दिया:डा अनिल सुलभ
पटना, १५ अक्टूबर। महात्मा गाँधी के आह्वान पर भारत के जिन महान त्यागियों ने अपना ऐश्वर्यपूर्ण सुखमय जीवन का त्याग कर दिया, उनमे सेठ गोविंद दास का नाम परम श्रद्धेय है। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता और राष्ट्रभाषा हिन्दी के लिए अपना तन, मन ही नहीं सारा धन भी लगा दिया। ऐसे ही महान बलिदानियों से इस देश का पुनर्निर्माण हुआ। इन्हें स्मरण कर हम देश की ऊन्नति में योगदान की प्रेरणा और नयी ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

यह बातें बुधवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती समारोह एवं कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि हिन्दी-जगत सेठ जी "हिन्दी भारत की राष्ट्र-भाषा हो", इस विचार के प्रबल समर्थक थे। वे एक सफल नाटककार, कवि और उपन्यासकार थे। उन्होंने दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं। वे १९५१ से लगातार १९७४ तक, जबतक जीवित रहे, जबलपुर से भारत के सांसद चुने जाते रहे। वर्ष १९६१ में, भारत सरकार ने, राष्ट्र और राष्ट्र-भाषा के प्रति उनके महान अवदान के लिए, उन्हें "पद्मभूषण" प्रदान कर विभूषित किया ।

डा सुलभ ने प्रबुद्ध नागरिकों की वैचारिक संस्था "प्रबुद्ध हिंदू समाज" की ओर से प्रकाशित वार्षिकी पत्रिका "प्रबुद्ध-वाणी" के नूतन अंक का भी लोकार्पण किया। सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष और बिहार के पूर्व गृह सचिव जियालाल आर्य, प्रबुद्ध वाणी पत्रिका के प्रधान संपादक प्रो जनार्दन सिंह, प्रो जंग बाहादुर पाण्डेय, रंजन कुमार मिश्र, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी तथा डा रत्नेश्वर सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, डा पुष्पा जमुआर, शमा कौसर शमा, प्रो समरेंद्र नारायण आर्य, आशा रघुदेव, सिद्धेश्वर, सदानन्द प्रसाद, मोईन गिरीडीहवी, डा सुषमा कुमारी,पं गणेश झा, सुनीता रंजन, डा रमाकांत पाण्डेय, बाँके बिहारी साव, ईं अशोक कुमार, इंदु भूषण सहाय, नरेंद्र कुमार, राज आनन्द आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी काव्य-रचनाओं से आयोजन को आनंदोत्सव में बदल दिया। 

मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया। प्रो राम ईश्वर पण्डित, डा चंद्रशेखर आज़ाद, सच्चिदानन्द शर्मा, डा प्रेम प्रकाश, अशोक कुमार, दुःख दमन सिंह आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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