भारत बना दुनिया में सर्वाधिक 1.4286 अरब आबादी का देश
भारत बना दुनिया में सर्वाधिक 1.4286 अरब आबादी का देश


भारत की आबादी 1.4286 अरब जबकि चीन की 1.4257 अरब
संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड पॉपुलेशन डैशबोर्ड के अनुसार 2023 मध्य तक के अनुमानों के अनुसार भारत की आबादी 1.4286 अरब हो गई है यह चीन की आबादी 1.4257 अरब से कुछ ज्यादा है।
भारत में आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। ऐसे तो हर 10 वर्ष के अंतराल पर देश में जनगणना की जाती है पर वर्ष 2021 में कोरोना संकट के कारण सरकार ने टालने का फैसला किया था। अब तक यह साफ नहीं है कि भारत में जनगणना के इस जटिल काम को कब तक निपटाया जाएगा। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के ताजा आंकड़े अनुमानों पर आधारित हैं। भारत में 2022 में दो करोड़ 30 लाख बच्चों का जन्म हुआ। हालांकि भारत में जन्म दर (प्रति एक हजार की आबादी पर पैदा होने वाले बच्चों की संख्या) में 2004 के 24.1 की तुलना में गिरावट आई है और यह 2019 में 19.7 रह गया है। धीमी गति के बावजूद देश में आबादी का बढ़ना जारी है। पिछले साल चीन में 1950 के बाद से सबसे कम केवल 95.6 लाख बच्चों का जन्म हुआ। जन्म से ज्यादा मौतें हुई इस कारण 1960 के बाद से चीन की आबादी में पहली बार गिरावट दर्ज की गई। वहीं दूसरी ओर, भारत की आबादी में वर्ष 2060 के मध्य तक वृद्धि का अनुमान है, जबकि चीन में इस दौरान आबादी घटने का अनुमान है।
भारत ना केवल दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है, बल्कि यूएन के आंकड़ों के अनुसार यहां दुनिया की सबसे युवा आबादी भी रहती है। भारत की आधी आबादी 30 साल से कम लोगों की है जिनकी औसत उम्र 28 वर्ष है। अमेरिका और चीन की बात की जाए तो वहां की औसत उम्र 38 वर्ष है। आर्थिक विकास के मामले में भारत की युवा आबादी अहम रोल अदा कर सकती है, क्योंकि यहां कि दो तिहाई से अधिक आबादी काम करने की उम्र यानी 15 वर्ष से 64 वर्ष के बीच की है। ऐसे में भारत के पास वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन और उपभोग में वृद्धि लाने की असीम संभावना है। यह देश अपनी युवा आबादी के बूते इनोवेशन को बढ़ावा देने और तकनीकी बदलावों के मामले में खुद को अव्वल साबित कर सकता है। यहां एक बात गौर करने वाली है कि यह स्थिति तभी संभव है जब भारत अपनी एक बड़ी आबादी को रोजगार उपलब्ध कराने में सफल रहे। देश में औद्योगिकरण के बढ़ने से एक बड़ी आबादी ने परंपरागत कृषि-किसानी के पेशे को छोड़ दिया है। ऐसे में उन्हें पर्याप्त रोजगार मिले इस पर नीति निर्धारकों को ध्यान देने की जरूरत है।


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