बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का विरोध सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा,10जुलांई को होगी सुनवाई
नंई दिल्ली/पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का विरोध सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने याचिकाओं को स्वीकार करते हुए इस मामले में 10 जुलाई को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। 
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें रखते हुए कोर्ट से आग्रह किया कि चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया जाए और पुनरीक्षण प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगे। हालांकि, पीठ ने फिलहाल नोटिस जारी नहीं किया है, लेकिन यह स्पष्ट किया कि 10 जुलाई को आयोग के कदम की वैधता पर विस्तार से विचार किया जाएगा।
 निर्वाचन आयोग द्वारा 24 जून को जारी निर्देश के तहत 25 जून से 25 जुलाई तक मतदाताओं के घर घर जाकर पुनरीक्षण फार्म भरवाने और जन्मदिन और आवास संबंधित साक्ष्य दस्तावेज लेने के खिलाफ एडीआर, राजद और टींएमसी की ओर से याचिकायें दायर हुई हैं।बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का विरोध सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने याचिकाओं को स्वीकार करते हुए इस मामले में 10 जुलाई को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। 
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें रखते हुए कोर्ट से आग्रह किया कि चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया जाए और पुनरीक्षण प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगे। हालांकि, पीठ ने फिलहाल नोटिस जारी नहीं किया है, लेकिन यह स्पष्ट किया कि 10 जुलाई को आयोग के कदम की वैधता पर विस्तार से विचार किया जाएगा।
 निर्वाचन आयोग द्वारा 24 जून को जारी निर्देश के तहत 25 जून से 25 जुलाई तक मतदाताओं के घर घर जाकर पुनरीक्षण फार्म भरवाने और जन्मदिन और आवास संबंधित साक्ष्य दस्तावेज लेने के खिलाफ एडीआर, राजद और टींएमसी की ओर से याचिकायें दायर हुई हैं। निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तुरंत सूचीबद्ध करने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सहमति जताई। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, गोपाल शंकरनारायणन और शादान फरासत ने न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की आंशिक कार्यकाल वाली पीठ के समक्ष इस मामले का संयुक्त रूप से उल्लेख किया और तत्काल सुनवाई की मांग की। अब इस मामले पर 10 जुलाई को सुनवाई होगी। अब स्वयं की नजर सुप्रीम कोर्ट में होनेवाली सुनवाई पर होगी।
याचिकाकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को असंवैधानिक और राजनीतिक रूप से प्रेरित करार देते हुए इसे रोकने की मांग की है। चुनाव के बचे तीन माह पहले 28 दिनों में पुनरीक्षित मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया का सम्पूर्ण विपक्ष विरोध कर रहा है। इसी को लेकर 9 जुलाई को बिहार बंद का काल दिया गया है।
सत्तारूढ एनडीए और चुनाव आयोग के खिलाफ यह कार्यक्रम सियासी मुद्दा बन गया है। बिहार में करीब 8 करोड़ वोटरों और 78 हजार बूथ हैं।मौजूदा प्रक्रिया लाखों की संख्या में वोटर लिस्ट से नाम हटाने की आशंका देख विरोध हो रहा है। आयोग का ध्येय और उद्देश्य सही भी हो ,परंतु चुनाव के ठीक पहले अल्प समय में इसे पूरा करने की तैयारी देख दुष्परिणाम की आशंका स्वभाविक है। 
 चुनाव के बचे तीन माह पहले 28 दिनों में पुनरीक्षित मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया का सम्पूर्ण विपक्ष विरोध कर रहा है। इसी को लेकर 9 जुलाई को बिहार बंद का काल दिया गया है।
सत्तारूढ एनडीए और चुनाव आयोग के खिलाफ यह कार्यक्रम सियासी मुद्दा बन गया है। बिहार में करीब 8 करोड़ वोटरों और 78 हजार बूथ हैं।
मौजूदा प्रक्रिया लाखों की संख्या में वोटर लिस्ट से नाम हटाने की आशंका देख विरोध हो रहा है। आयोग का ध्येय और उद्देश्य सही भी हो ,परंतु चुनाव के ठीक पहले अल्प समय में इसे पूरा करने की तैयारी देख दुष्परिणाम की आशंका स्वभाविक है।

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