देश के हाईकोर्ट में सामान्य वर्ग के 79% न्यायाधीश ,आरक्षित वर्ग के मात्र 21%

पटना- 03 फरवरी।
राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्य सभा सांसद  सुशील कुमार मोदी के प्रश्न के उत्तर में कानून और न्याय मंत्री  किरेन रिजीजू ने बताया कि पूरे देश में सर्वोच्च न्यायालय एवं हाईकोर्ट में आरक्षण लागू नहीं है। 2018 से 2022 के 5 वर्षों में पूरे देश पूरे देश के हाई कोर्ट में कुल 554 न्यायाधीशों में अनुसूचित जाति के 19, जनजाति के 6 एवं पिछड़ा वर्ग के 58 एक न्यायाधीश हैं। तथा सामान्य वर्ग के 430 न्यायाधीश हैं। इस 554 में 27 अल्पसंख्यक एवं 84 महिला भी है। यदि न्यायालय में आरक्षण होता तो 277 अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के न्यायाधीश होते, जिसके विरुद्ध मात्र 83 यानि 20% आरक्षित वर्ग के न्यायाधीश हैं । 

बिहार में जिला जज 35 अनुसूचित जाति, 1 अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के 50 एवं 38 महिलाएं हैं। 

बिहार में वहीं सिविल जज (सिविल डिवीजन) 62 अनुसूचित जाति, 5 जनजाति, 22 पिछड़ा वर्ग एवं 33 महिला है। 

बिहार में सिविल जज जूनियर डिविजन में 115 अनुसूचित जाति, 9 अनुसूचित जनजाति, 254 पिछड़ा वर्ग एवं 256 महिला है। 

मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से बार-बार आग्रह किया है कि आरक्षित वर्ग की संख्या बढ़ाई जाए परंतु न्यायाधीशों की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय का कॉलेजियम से होता है जिसमें केंद्र की भूमिका नहीं है ।

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