SIR का प्रक्रिया पर महागठबंधन का विरोध,चुनाव का बहिष्कार की धमकी

एसआइआर के माध्यम से लोगों के अस्तित्व और हर तरह की सरकारी योजनाओं से वंचित करने की साजिश है, और सत्ता पक्ष चुनाव आयोग के पक्ष में खड़ा होकर जनता के नागरिक अधिकार को कमजोर करना चाहती है : तेजस्वी प्रसाद यादव
पटना 23 जलाई।
नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने आवास 01 पोलो रोड, पटना में महागठबंधन के विधायकों के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि एसआइआर के मुद्दे पर विधान सभा अध्यक्ष से हमलोग मिले थे और प्रस्ताव रखा था कि इस पर चर्चा होनी चाहिए। विधान सभा अध्यक्ष की अनुमति से मैं जब अपनी बात रख रहा था और उसमें मैंने जो सवाल खड़ा किया और चुनाव आयोग के मामले पर जब अपनी बातें रखीं तो आप सभी ने सदन की कार्रवाई देखी होगी, उसमें जिस तरह से उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और मंत्रीगण हल्की बातें कर रहे थे उससे सदन की गरिमा को गिराने का कार्य किया गया है। जिस तरह से अमर्यादित और अभद्र भाषा विजय सिन्हा ने खबरों में बने रहने के लिए इस्तेमाल की इससे सदन की गरिमा को उपमुख्यमंत्री और मंत्री के द्वारा गिराने का कार्य किया गया है, ये सही नहीं है।
        इस अवसर पर संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री राजेश राम, कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ0 शकील अहमद खान, भाकपा माले विधायक दल के नेता कामरेड महबूब आलम, सीपीआई एम विधायक दल के नेता कॉमरेड अजय कुमार, सीपीआई के विधायक औदल के नेता कॉमरेड सूर्यकान्त पासवान, पूर्व मंत्री श्री आलोक कुमार मेहता, विधायक भाई वीरेन्द्र, राजद प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता श्री शक्ति सिंह यादव, प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता श्री राजेश सिंह राठौर उपस्थित थे।
          तेजस्वी जी ने आगे कहा कि जब विपक्ष सदन में अपनी बातें गंभीरतापूर्वक रखता है तो उनकी बातों को अनसुना करके जवाब देने की जगह अभद्र भाषा इस्तेमाल की जाती है। हमने कहा कि सूत्रों पर बयान देने वाले ये बतायें कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दिया है उसमें कहीं भी घुसपैठिए की बात नहीं की है और न ही भाजपा के किसी बीएलए ने इस तरह की बातों का कहीं कम्पलेन किया है। इस तरह की बातें प्रचारित करने वाले ये बतायें कि 2005 से 2025 तक नीतीश जी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है और 2014 से केन्द्र में भाजपा की सरकार है तब इस तरह की बातें क्यों की जाती है। अगर इस तरह की बातें हैं तो इसके लिए जिम्मेदार कौन माना जायेगा? केन्द्र और राज्य सरकार अपनी भूमिका ठीक ढंग से नहीं निभा रही है यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है। अध्यक्ष महोदय के द्वारा दिये गये अनुमति के बाद जब हम चर्चा कर रहे थे तो मुख्यमंत्री ने बीच में हस्तक्षेप करके जब बोलना शुरू किया तो उन्हें पता ही नहीं था कि किस बात पर चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री के इस तरह के बयान से यह अन्दाजा लगाया जा सकता है कि वो अब सरकार चलाने के लायक नहीं हैं। नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के इशारे पर चुनाव आयोग काम कर रहा है। सरकार में बैठे हुए लोग वोटर चुन रहे हैं, जबकि लोकतंत्र में वोटर सरकार चुनते हैं। लेकिन यहां इस तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करके लोगों के अस्तित्व को खत्म करना चाहते हैं। अगर वोटर लिस्ट से नाम हटा तो सारे सरकारी कल्याणकारी कार्य के लाभ से लोग वंचित हो जायेंगे और इन्हें पेंशन, राशन, छात्रवृति, आवास योजना सहित सारे कल्याणकारी योजनाओं को रोकने का काम किया जायेगा।
इन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बिना विषय को समझे हस्तक्षेप किया और खुराफाती उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने मामले को बिगाड़ा। भाई वीरेन्द्र जी ने ठीक ही कहा है, इनकी कोई गलती नहीं थी। उपमुख्यमंत्री जी कौन होते हैं सदन को चलाने की बात कहने वाले। अध्यक्ष महोदय ने उपमुख्यमंत्री को इस तरह की भाषा के लिए फटकार भी लगायी। मुख्यमंत्री जी की बातों पर मेरी सहानुभूति है। इतने गंभीर मामले पर चर्चा में गंभीरता नहीं दिखना कहीं न कहीं सत्ता पक्ष के द्वारा मामले को भटकाने का प्रयास लगता है क्योंकि ये लोग नहीं चाहते हैं कि मतदाताओं के मताधिकार पर चर्चा हो। और जिस तरह से बिहार में 55 लाख के करीब वोट काटने का साजिश चल रहा है इसमें सत्तापक्ष की भूमिका स्पष्ट रूप से नजर आ रही है और चुनाव आयोग नरेंद्र मोदी और अमित शाह के इशारे पर कार्य कर रहा है।
        इन्होंने ने कहा कि चुनाव आयोग का मनमाना रवैया और केंद्र सरकार के इशारे पर अपारदर्शी तरीके से मतदाता सूची में धांधली करना लोकतंत्र के लिए अत्यंत खतरनाक है। इन्हें अहसास नहीं है कि जनता की प्रतिक्रिया क्या होगी?
     इस अवसर पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री राजेश राम ने कहा कि सदन इस बात के लिए होता है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी बातें रखें और उसपर चर्चा हो। जब आज सदन में नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी जी को बोलने का मौका मिला तो ऐसा लगा कि सत्ता पक्ष मुद्दे को भटकाने के लिए ऐसा माहौल जानबूझकर तैयार किया। हसुआ के बियाह में खुरपी का गीत गाया गया। दवा चोरी का भी मामला न उठे इसके लिए इस तरह की बातें हुई।
सीपीआई एमएल के कॉमरेड महबूब आलम ने कहा कि एसआइआर लोकतंत्र के अस्तित्व को खत्म करने का साजिश है और यह पूरे देश स्तर पर नहीं करके बिहार में क्यों किया जा रहा है जबकि 03 महीने बाद ही चुनाव है। वोट के अधिकार की रक्षा के लिए सार्थक बहस और विमर्श होना चाहिए लेकिन सत्ता पक्ष इस बात को समझ रही है कि यह कार्य नरेन्द्र मोदी के इशारे पर हो रहा है इसलिए ऐसा माहौल बनाया गया है। ये लोकतंत्र के लिए काला अध्याय है और कहीं न कहीं वोट के अधिकार को छीनकर एनआरसी के तरह कार्य किये जा रहे हैं जो किसी के भी नागरिकता पर सवाल खड़ा कर सकता है।
सीपीआई एम के कॉमरेड अजय कुमार ने कहा कि एसआइआर के नाम पर नागरिक अधिकार छीनने की साजिश चल रही है जबकि इस तरह का काम गृह मंत्रालय के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है। वोटर लिस्ट में भाजपा के इशारे पर किया जा रहा है और गरीबों के सरकारी अनुदान को कमजोर करने की साजिश है। भाजपा के द्वारा चुनाव को हाईजैक करने का मामला है। यह आन्दोलन तब तक चलता रहेगा जब तक एसआइआर की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं होगी।
सीपीआई के विधायक दल के नेता कॉमरेड सूर्यकान्त पासवान ने कहा कि बोलने और वोट देने के अधिकार को कुचला जा रहा है। विपक्ष की आज सदन के अन्दर जो बातें रखी गई उन सवालों पर सत्ता पक्ष जवाब देने से पहले ऐसा माहौल बना दिया। हम किसी के भी नागरिक अधिकार और वोट के अधिकार को छीनने नहीं देंगे और ऐसी साजिशों को नाकाम करने के लिए सड़क से लेकर सदन तक आन्दोलन करेंगे।



Top