बिहार में सरकारी नौकरी की बहार! पांच लाख खाली पदों पर होगी बंपर बहाली

पटना: बिहार बिधानसभा का चुनाव नजदीक देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पांच लाख खाली सरकारी पदों पर बंपर बहाली की तैयारी में जुट गये हैं। वहीं डोमिसाईल नीति लागू करने की मांग जोर पकड़ने के आसार हैं। शििक्षको की निियुक्त के समय डोोमिसाई नीति लागू करने का नििर्ण वापस ले लिया गया था।य
लोक सभा चुनाव के दौरान बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा को पूरा करने हेतु विभिन्न विभागों के खाली पदों पर बंपर बहाली की तैयारी शुरू हो गई है. राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों में 4 लाख 72 हजार 976 पद खाली हैं. इन पदों पर जल्द ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी. 
सीएम नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव के दौरान कहते रहे हैं कि उनके मौजूदा कार्यकाल में 10 लाख नौकरी और 20 लाख को रोजगार देने के वायदा पूरा करने में तत्पर हैं ।पांच लाख सरकारी नौकरी दी जा चुकी है।इसमें शिक्षा विभाग ने दो लाख से अधिक शिक्षकों की सीपीएससी द्वारा नियुक्ति शामिल है। तीसरे चरण में 80 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है।
 सरकार ने सभी 45 विभागों में खाली पदों का लेखाजोखा तैयार किया है। सबसे ज्यादा खाली पद शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग में निकाली जाएगी. शिक्षा विभाग में 217591 पद खाली हैं, वहीं स्वास्थ्य विभाग में 65734 पद खाली है.  
सामान्य प्रशासन विभाग को खाली पदों की जानकारी उपलब्ध कराई गई है. बिहार के सभी सरकारी विभागों में पदों के खाली होने की विवरणी के अनुसार लगभग पौने पांच लाख पद खाली हैं. इनमें स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के पद शामिल हैं. जानकारी के अनुसार गृह विभाग 41414 पद तो राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में 15214 पद तो वहीं जल संसाधन विभाग में 13712 पद खाली है. ग्रामीण विकास विभाग में 11784 पद तो समाज कल्याण विभाग में 10844 पद खाली हैं. इस तरह सूबे में करीब पौने पांच लाख पद खाली हैं,कला एवं संस्कृति विभाग में रिक्त पदों की सूचना नहीं मिल पाई है।
मालूम हो कि नवम्बर,2025 में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा ने बिहार में जदयू के बराबर 12 लोकसभा सीटों पर जीत और केंद्र में "किंग मेकर" की भूमिका होने के बाद नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में 2025 का विधानसभा का चुनाव भी लडने की घोषणा की है।
समझा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में सरकारी नौकरी और रोजगार प्रमुख मुद्दा होगा तेजस्वी यादव ने उप मुख्यमंत्री को अपने कार्यकाल में नौकरी के एजेंडा को 17 महीना बनाम 17 साल के रूप में पेश कर श्रेय लेने की कोशिश करते रहे। सीएम नीतीश कुमार पर यह राजनीतिक दबाब का मुद्दा बन गया है।












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