पटना कलम पेंटिंग्स भी कला पाठ्यक्रम का हिस्सा बने

  1. इंटैक, पटना चैप्टर एवं योर हेरिटेज
के संयुक्त प्रयास से पटना कला एवं शिल्प महाविद्यालय परिसर में सप्ताह भर तक चलनेवाले पटना कलम शैली चित्रकला सह प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। मुख्य अतिथि एवं उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. एन.के.अग्रवाल ने कहा कि पटना कलम हमारी गौरवशाली विरासत है और इसे नई पीढ़ी के कलाकारों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार की ओर से समुचित प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पर विचार किया जाना चाहिए कि इसे कला पाठ्यक्रम का हिस्सा किस प्रकार बनाया जाय। बापू टावर के उप निदेशक ललित कुमार सिंह ने कहा कि यह पेंटिंग्स शैली क्यों विलुप्त हुई, यह विवेचना का विषय है। यह पुनर्जीवित कैसे हो, यह सामूहिक प्रयास की चीज है। वरिष्ठ कलाकार अर्चना सिन्हा ने कहा कि समाज में जब आडंबर का स्थान कला से महत्वपूर्ण बन जाता है तो अच्छी चीजें विलुप्त होने लगती हैं। उन्होंने कहा कि पटना कलम शैली अभ्यास पर अब कलाकारों का ध्यान गया है। वरिष्ठ कलाकार सुनीता प्रकाश ने क्राफ्ट के रूप में पटना कलम शैली के उपयोग के अपने अनुभवों को साझा किया। बेगूसराय की अनुपमा कुमारी ने कहा कि पटना कलम का अगला प्रशिक्षण शिविर बेगूसराय में भी लगाया जाएगा। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि ऐसा प्रयास पटना की जीवंतता का प्रतीक है। कला इतिहासकार नेहा सिंह ने कंपनी शैली पेंटिंग्स की विशेषताओं के बारे में विस्तार से अवगत कराया। आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए इंटैक के संयोजक भैरव लाल दास ने कहा कि पटना कलम शैली को पुनर्जीवित करने के लिए कला क्षेत्र से जुड़े लोगों को आगे आना होगा। योर हेरिटेज की रचना प्रियदर्शनी द्वारा अतिथियों को सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन निफ़्ट के प्रो. जयंत कुमार ने किया। इस अवसर पर क्रोशिया कला की विभा श्रीवास्तव, नई धारा के राजेश कुमार, मधुबनी पेंटिंग्स की अलका दास, बिहार पर्यटन के रविशंकर उपाध्याय सहित कई कलाकार एवं बुद्धिजीवी उपस्थित थे।

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