सरकार और चुनाव आयोग ऐसी गलती न करें, किसी भी तरह की मनमानी बिहार में नहीं चलने दिया जायेगा: इंडिया महागठबंधन

बिहार में संविधान, लोकतंत्र और मतदाताओं का मजाक बनाया जा रहा है: तेजस्वी 
पटना 27 जून।
 नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने पटना स्थित आवास 01 पोलो रोड में इंडिया महागठबंधन के नेताओं के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में विशेष मतदाता गहन पुर्नरीक्षण की घोषणा चुनाव आयोग के द्वारा की गई है जो लोकतंत्र और संविधान के साथ खिलवाड़ है। आखिर चुनाव से पहले 08 करोड़ मतदाताओं का 25 दिन में पुर्नरीक्षण का कार्य क्यों चुनाव आयोग कराना चाहती है, इस संबंध में बताना चाहिए। नीतीश-भाजपा और एनडीए की हार को देखते हुए ही गरीबों, शोषितों, वंचितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों का वोटर लिस्ट से नाम हटाने की साजिश लगती है। लालू जी बराबर कहा करते हैं कि वोट का राज का मतलब छोट का राज। 
इन्होंने आगे कहा कि बिहार में 73 प्रतिशत लोग बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र में रहते हैं और लोग ऐसे समय में अपने जान माल की हिफाजत करेंगे कि वोटर लिस्ट में नाम विलोपित न हो इसको बचाने के लिए अपना कागजात कैसे प्रस्तुत करेंगे। जिन कर्मचारियों को जो मतदाता गहन पुर्नरीक्षण के लिए सूची उपलब्ध कराई गई है उसमें 90 प्रतिशत मतदाता का सूची नहीं दिया गया है। बिहार में संविधान और लोकतंत्र विरोधी कार्य किये जा रहे हैं और गरीबों, शोषितों, वंचितों के वोट का अधिकार छीनने का साजिश की जा रही है। 
बिहार में 25 दिनों के अन्दर 08 करोड़ मतदाताओं का गहन पुर्नरीक्षण कार्य चुनाव आयोग कराना चाहती है, जबकि 22 वर्ष पूर्व जो गहन पुर्नरीक्षण का कार्य हुआ था उसमें दो वर्ष लगे थे। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद गहन पुर्नरीक्षण का कार्य क्यों नहीं कराया गया। साथ ही मोदी सरकार को बताना चाहिए कि जब आप 2024 में लोकसभा चुनाव उसी वोटर लिस्ट पर करवाये तो ये वैध थे और अब इस वोटर लिस्ट को मान्यता क्यों नहीं दी जा रही है। अगर सरकार इस मामले में ईमानदार है तो 2024 के लोकसभा चुनाव को अवैध घोषित करे। इस तरह के कार्य के लिए किसी भी दल को विश्वास में नहीं लिया गया। चुनाव आयोग से इस मामले पर महागठबंधन के दल मिलकर अपनी बात रखेंगे और साथ ही मांग करेंगे कि इस पुर्नरीक्षण के कार्य को तत्काल प्रभाव से रोका जाय। इन्होंने कहा कि 59 प्रतिशत आबादी जिसकी संख्या 04 करोड़ 76 लाख है उनको अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। 20 से 38 वर्ष के मतदाता जो 04 करोड़ के करीब हैं उनको अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र देना होगा और उनके लिए स्थायी निवास का प्रमाण पत्र भी नागरिकता के लिए देनी होगी। साथ ही 04 प्रतिशत आबादी जो 39 से 40 वर्ष तक है उनको नागरिकता के लिए अपना दस्तावेज देना होगा और जन्म तिथि और स्थायी निवास का प्रमाण देना होगा। 18 से 20 वर्ष के 50 लाख से अधिक मतदाता को माता-पिता दोनों का जन्म तिथि और जन्म स्थान का प्रमाण देना होगा। इन्होंने आगे कहा कि जबकि 2001 से 2025 तक जन्मे बच्चो के 2.8 प्रतिशत ही जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध हैं। बिहार में जिस तरह से लोकतंत्र विरोधी कार्य हो रहे हैं ये कहीं न कहीं नागरिक आधिकारों को छीनने का भी प्रयास है, जहां राशन, पेंशन, छात्रवृति और अन्य योजनाओं में गरीबों, शोषितों, वंचितों को हटाने की एक बड़ी साजिश की जा रही है। 
श्री तेजस्वी ने आगे कहा कि सवाल यह है कि आखिर बिहार में ही गहन पुर्नरीक्षण का कार्य क्यों किये जा रहे हैं। सारा खेल बिहार चुनाव में सत्ताधारी दल को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। इन्होंने कहा कि राज्यसभा में मंत्री ने संजय जी के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि बिहार में 03 करोड़ के करीब लोग पलायन कर गये हैं जबकि गैर पंजीकृत पलायन करने वालों की संख्या 04 करोड़ 50 लाख से अधिक है। अचानक इस तरह का निर्णय क्यों लिया गया है। भाजपा, आरएसएस के द्वारा लगातार संवैधानिक अधिकार को छीनने का प्रयास चल रहा है। इसी के अन्तर्गत आरएसएस के द्वारा संविधान में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद को खत्म करने की बात की जा रही है। जिस तरह का मतदाता पुर्नरीक्षण के नाम पर साजिश रची गई है। ऐसी साजिश को बिहार के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे और किसी भी कीमत पर मतदाता के अधिकार को छीनने वाले साजिशन बदलाव को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। सरकार और चुनाव आयोग ऐसी गलती न करें और किसी भी तरह की मनमानी बिहार में नहीं चलने दिया जायेगा। लोग इस मामले में सतर्क हैं। बिहार में संविधान, लोकतंत्र और मतदाताओं का मजाक बनाया जा रहा है। इसे किसी भी कीमत पर हमलोग नहीं मानेंगे।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि महाराष्ट्रा के चुनाव की तरह बिहार के चुनाव को भी चुनाव आयोग के माध्यम से प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है। महाराष्ट्र में अनाधिकृत रूप से और बिहार में अधिकृत रूप से वोटर की संख्या को कम करने का केन्द्र सरकार के दबाव में कार्य किया जा रहा है। इस तरह के कार्यों का कड़ा प्रतिकार होगा। 
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री पवन खेड़ा ने कहा कि एनडीए सरकार पर जब-जब संकट आता है तो वो चुनाव आयोग के पास जाती है। चुनाव आयोग की क्रियाकलाप पर पत्र लिखा और खड़गे जी भी इस मामले में चुनाव आयोग पर सवाल उठाये हैं लेकिन अब तक जवाब नहीं दिया गया है। जब-जब चुनाव आयोग पर सवाल उठता है तो इसके जवाब में भाजपा सामने आ जाती है आखिर क्या कारण है। इस तरह के डाका डालने वाले कार्रवाई अधिकार और वजूद तथा नागरिकता पर कहीं न कहीं सरकार के स्तर से सवाल खड़े किये जायेंगे। सरकार मोदी जी का मास्टर स्ट्रोक चुनाव आयोग को अपने हित में इस्तेमाल करके दिखाती रही है जबकि बिहार में जो सर्वे आ रहे हैं उसमें एनडीए की हालत पतली दिखती है और इंडिया महागठबंधन सरकार बनाती दिखती है। बिहार एक प्रयोगशाला है इसलिए सरकार यहां प्रयोग कर रही है। नौजवान, बेरोजगारी, परीक्षा लीक और नौकरी नहीं मिलने के कारण दुखी है। इसीलिए सरकार नौजवानों को वोट के अधिकार से वंचित करना चाहती है।
भाकपा माले के कामरेड दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि क्या चुनाव आयोग के दिमाग में पहले से यह बात थी, अगर थी तो चुनाव आयोग ने दिल्ली में जो सभी दलों के साथ बैठक की उस वक्त चर्चा क्यों नहीं की। 75 साल से चुनाव हो रहा है लेकिन पहली बार गिनपिक बनाया जा रहा है। यह हर नागरिक का सवाल है और स्पष्टता नोटबंदी की तरह वोटबंदी का साजिश है। मतदाता का नाम दर्ज करना चुनाव आयोग का काम है। मतदाता को चुनाव में जाने से पहले चुनाव आयोग के सवालों का सामना करना पड़ेगा और यह साबित करना होगा कि वो मतदाता कैसे बनें। इसके लिए दस्तावेज भी प्रस्तुत करना होगा जबकि सभी का जन्म प्रमाण पत्र देना सरकार का काम होता है। सरकार ने ये काम क्यों नहीं किया। 
वीआईपी पार्टी के प्रवक्ता श्री देव ज्योति ने कहा कि बैक डोर से एनआरसी लागू करने की साजिश लगती है और साथ ही गरीब, पिछड़ा, अतिपिछड़ा का कागजात मांगा जाना कहीं न कहीं फेरा लगाकर गरीबों को वोट के अधिकार से वंचित करने का साजिश है। 
सीपीआई के कॉमरेड रामबाबू कुमार ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में इलेक्टोरल फ्रॉड को अंजाम देने की नीयत से इस तरह के कार्य किये जा रहे हैं और ये सब नरेन्द्र मोदी के इशारे पर किया जा रहा है इसके खिलाफ लोकतंत्र और संविधान बचाने के लिए सड़क पर उतरने की आवश्यकता है।
सीपीआई (एम) के कॉमरेड अरूण कुमार ने कहा कि पिछले 11 साल में मोदी सरकार ने संवैधानिक संस्थानों का अपहरण कर लिया है और उस एजेंडा को लागू करना चाहती है जिससे कि गरीबों, शोषितों, वंचितों को उसके अधिकार से वंचित किया जाय। इस तरह के कार्य बिना किसी दल की सहमति के किया जा रहा है। नरेन्द्र मोदी को इतिहास से सबक लेने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर संवाददाता सम्मेलन में राज्यसभा सांसद श्री संजय यादव, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ0 सुनील कुमार सिंह, पूर्व मंत्री डॉ0 रामानंद यादव, राजद के मुख्य प्रवक्ता श्री शक्ति सिंह यादव, एजाज अहमद, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री अभय दूबे, वरिष्ठ नेता श्री मदन मोहन झा, प्रदेश मुख्य प्रवक्ता राजेश सिंह राठौर, भाकपा माले के अभ्युदय भी उपस्थित थे।

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