SC ने कहा-नहीं रुकेगा वोटर लिस्ट  रिविजन,विपक्ष को बड़ा झटका

नई दिल्लीl बिहार में चुनाव के निकट वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन का सड़क से कोर्ट तक विपक्ष का विरोध काम नहीं आया। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को  स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। परतु इसे रोकने से मना कर दिया।  इसको लेकर एकजुट विपक्ष को बड़ा झटका माना जा सकता है। एक दिन पहले रिविजन रोकने के लिए "बिहार बंद" के काल के साथ  राहुल गांधी, तेजस्वी यादव सहित कई अन्य नेतांओं ने पटना में  विरोध प्रदर्शन किया धा।
 सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बड़ी राहत दी है।   25 जून से एक माह तक वोटरों के घर घर जाकर वोटर फार्म देकर भरवाने का अभियान चलाया है। वोटर बनने का 11 साक्ष्य मान्य किया है। वोटर फार्म नहीं भरने पर नई लिस्ट में नाम नहीं रहेगा।
बिहार में करीब 8 करोड़ वोटरों और 98 हजार से अधिक बूथ हैं। नवंबर में 22 नवंबर के पहले चुनाव अवश्यंभावी है।विधानसभा कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त होगा।अक्टूबर में दीवाली-छठ के बाद ही दो या तीन चरणों मतदान संभव है।
सुप्रीम कोर्ट ने राशन , वोटर और आधार कार्ड को भी साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने का सुझाव दिया है।

इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में मतदाता सूचियों का स्पेशल इंटेंसिव रिविजन कराने के चुनाव आयोग के कदम में लॉजिक है, लेकिन कोर्ट ने विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले होने वाली इस प्रक्रिया के समय पर सवाल उठाया।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि उसने बिहार में मतदाता सूची के SIR इतनी देर से क्यों शुरू किया? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन इसे आगामी चुनाव से महीनों पहले शुरू किया जाना चाहिए था। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।

"प्रक्रिया समस्या नहीं"
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि वोटर लिस्ट में नॉन-सिटिजन्स के नाम न रहें, यह सुनिश्चित करने के लिए गहन प्रक्रिया के माध्यम से मतदाता सूची को शुद्ध करने में कुछ भी गलत नहीं है। अदालत ने कहा, "आपकी (चुनाव आयोग की) प्रक्रिया समस्या नहीं है, बल्कि समय की समस्या है."

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