राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर रचा इतिहास

नई दिल्ली,10 : कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने आज और एक एतिहास रच दिया। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड पर पक्षपात करने का खुला आरोप के साथ अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस दे दी।वस्तुत: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति हैं। विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव उपराष्ट्रपति को हटाने संबंधी महाभियोग प्रस्ताव है। संसद के दोनों सदनों की सहमति मिलने पर ही यह प्रस्ताव कारगर हो सकता है। संसद का मौजूदा शीतकालीन सत्र गौतम अडाणी को लेकर हंगामे की भेंट चढ़ रहा है. हर दिन दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित हो रही है. इस बीच विपक्षी दल राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के विरोध में खड़ा हो गया है. विपक्षी दल जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है. विपक्षी दलों ने राज्यसभा  के महासचिव पीसी मोदी को यह अविश्वास प्रस्ताव सौंपा है.
 अविश्वास प्रस्ताव लाने की क्या है प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं. यह आर्टिकल 67-बी के तहत होता है. वहीं, नियमों के मुताबिक यह प्रस्ताव 14 दिन पहले सदन के महासचिव को सौंपा जाता है. अगर राज्यसभा से यह पास हो जाता है तो इसे लोकसभा में भेजा जाता है. लोकसभा की सहमति जरूरी होती है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया "एक्स" पर पोस्ट करते हुए लिखा कि इंडिया गठबंधन राज्यसभा के सभापति के पक्षपातपूर्ण रवैया के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश कर रहा है. इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं था. दोपहर करीब 1 बजकर 37 मिनट के आसपास राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी को यह प्रस्ताव सौंपागया. बता दें, विपक्षी दलों के करीब 60 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. वहीं, इस प्रस्ताव पर सोनिया गांधी समेत किसी भी दल के नेता के हस्ताक्षर नहीं हैं.
कांग्रेस के जयराम रमेश के अलावा प्रमोद तिवारी और टीएमसी के नदीम उल हक और सागरिका घोष ने यह प्रस्ताव सौंपा. सभापति पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि ये हमलोगों को बोलने नहीं देते. पक्षपातपूर्ण रवैया करते हैं. 

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