नहीं रहे महान साहित्य-सेवी आचार्य निशान्त केतु
नहीं रहे महान साहित्य-सेवी आचार्य निशान्त केतु ! लंबी बीमारी के बाद आज प्रातः साढ़े पाँच बजे उन्होंने गुरुग्राम स्थित अपने आवास पर अंतिम साँस ली ।

उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कहा है कि लगभग सात दशक तक हिन्दी साहित्य की अनवरत सेवा करने वाले निशान्तकेंतु, जिनका मूल नाम चंद्र किशोर पाण्डेय है, साहित्य की विविध विधाओं में चार दर्जन से अधिक ग्रंथों के रचनाकार के रूप में साहित्य जगत में समादृत रहे हैं। इनकी विद्वतापूर्ण लेखनी से हिन्दी धन्य हुई है। इनके निधन से हिन्दी-भवन का एक सुदृढ़ स्तम्भ ढह गया है। यह साहित्य की एक बड़ी क्षति है । निशान्तकेतु जी का साहित्य सम्मेलन से भी गहरा संबंध था। उन्होंने अपनी साधना के बहुत दिन सम्मेलन को दिए । सुलभ इंटरनेशनल की पत्रिका से जुड़ने से पहले वे जब तक पटना में रहे, कई-कई दिनों तक सम्मेलन में ही प्रवास करते थे। उन्होंने सम्मेलन पत्रिका “साहित्य” का भी संपादन किया!

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