शिक्षा में सुधार के उपायों पर पानी तो नहीं फिरा?
 अरुण कुमार पाण्डेय
सीएम नीतीश कुमार की घोषणा आज के  अखबारों की सुर्खियां बटोर रही है। सक्षमता परीक्षा पास नियोजित शिक्षकों को तत्काल स्कूल बदले जाने पर होनेवाली  परेशानी सीएम की घोषणा से समाप्त हो गई है। जिस स्नुकूल में नियोजित शिक्षक के रूप में पढा रहे ,उसी स्र्कूल में विशिष्ट शिक्षक बन सेवा देनी है। सीएम की इस घोषणा के अनुरूप शिक्षा विभाग के आदेश का इंतजार करना होगा। तभी होगा योगदान और मिलेगा सरकारीकर्मी को देय लाभ।
 सीएम की घोषणा के अनुरूप शिक्षा विभाग के आदेश का इंतजार ,तभी होगा योगदान। विशिष्ट शिक्षक का नियुक्ति पत्र लेकर भी आदेश बिना नियोजित शिक्षक नहीं कर पायेंगे योगदान 
सीएम नीतीश कुमार ने 3 लाख से अधिक  नियोजित शिक्षकों के लिए विशिषट शिक्षक का नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में की गई घोषणा की किसी को भी उम्मीद नहीं थी। नियोजित शिक्षकों को घर से दूर रखकर ही पढाने की व्यवस्था के लिए बनी स्थानांतरण-पदस्थापन की नीति,नियम और प्रक्रिया के ठीक विपरीत सीएम की घोषणा से नियोजित शिक्षकों का गदगद होना स्वभाविक है। परंतु अब सवाल है कि सीएम की घोषणा के अनुरूप शिक्षा विभाग के आदेश के बिना क्या होगा? नियोजित शिक्षकों का  पदनाम बदलकर योगदान करने के लिए विभाग के आदेश की प्रतीक्षा करनी होगी। अभी तक तो स्थानांतरण-पदस्थापन के लिए आवेदन ही लिए जा रहे थे। नौकरी बचाने और विशिष्ट शिक्षक की नई नौकरी पाने की परेशानी कहां कोई देख रहा था?
यह तो हद हो गई,सीएम की घोषणा के बाबजूद नहीं बदली टाइमिंग !
शिक्षा मंत्री के स्थानांतरण-पदस्थापन की नीति तत्काल स्थगित करने की घोषणा से 2.17 लाख बीपीएससी के  अधिसंख्य अध्यापकों में मायूसी छा गई है।घर से दूर दूसरे जिले में वर्षों से कार्यरत हजारों की संख्निया में नियोजित शिक्षकों में भी मायूसी छा गई है। स्थानांतरण-पदस्थापन के इच्छुक शिक्षकों की उम्मीदों के साथ सच कहें तो शिक्षा में सुधार के उपायों पर भी पानी फिर गया है। अब सवाल उठना लाजिमी है कि सरकार के रुख और रवैये में बदलाव विधानसभा का चुनाव सिर पर आते देख वोट के खातिर हुआ है?सीएम ने तो स्पष्ट कर दिया है कि नियोजित शिक्षकों के लिए होने वाली पांच बार की परीक्षा के बाद आगे विचार होगा।अभी दो दो बार परीक्षा हुई है।तीन बाकी है। 85 हजार शिक्षक परीक्षा के लिए बचे है। 28 हजार नियोजित शिक्षक बीपीएससी अथ्याधक पहले ही बन चके है।पहली बार की सक्षमता परीक्षा पास करीब 1.88 लाख शिक्षकों का स्कूल बदलने को लेकर आई स्थानांतरण-पदस्थापन की नीति स्थगित होने से दूसरी बार की परीक्षा में उत्तीर्ण 65 हजार नियोजित शिक्षक भी जहां हैं वहीं काम करते रहेंगे।
अब लाख टके का सवाल है कि शिक्षकों के स्थानांतरण-पदस्थापन की नीति और नियम में कब और क्या बदलाव होगा और यह कब लागू होगी? प्रत्कयेक पांच वर्ष पर स्थानांतरण-पदस्थापन की नीति और सोच पर कब अमल होगा? क्या सबकुछ यूं ही चलता रहेगा? क्या अब 18वीं विधानसभा चुनाव में बननेवाली नई सरकार ही शिक्षा में सुधार की कारगर व्यवस्था करेगी? अभी तो चतुर्थ चरण में 1.60 लाख शिक्षकों की नियुक्ति की तैयारी, प्रारंभिक विद्यालयों में 38 हजार प्रधान शिक्षको और 6 हजार उत्क्रमित उच्च विद्यालयों मे हेडमासटर की तैनाती बाकी है। यही सब होते बिहार चुनावी वर्ष में आ जायेगा। सीएम की चुनाव से पहले 215 करोड रुपए खर्च कर महिला संवाद यात्रा का आखिर उद्देश्य क्या है? एक दर्जन से अधिक यात्रा पहले हो चुकी है।
मौजूदा परिस्थिति में यह बात साफ झलक रही है कि नवंबर,2025 में तय विधानसभा चुनाव के पहले शिक्षकों का स्थानांतरण-पदस्थापन होने से रहा। हजारों संख्या में नियोजित शिक्षक अभी भी या तो परीक्षा में फेल होने या पास हो जाने पर घर और समीप का स्कूल से दूर हो जाने के डर से परीक्षा देने से कन्नी काट रहे हैं। नियम तो बना था कि तीन बर ली जाने वाली परीक्षा फेल हो जाने या परीक्षा नहीं देने वाले नियोजित शिक्षकों की नौकरी समाप्त हो जायेगी।इसका भारी विरोध होने पर दबाब में सरकार की ओर से कहा गया कि नौकरी नहीं जायेगी पर ऐसै शिक्षक सरकारीकर्मी के लाभ से वंचित हो जायेंगे। उन्तीहीं के लिए तीन बार की जगह पांच बार परीक्षा देने का अवसर भी कर दिया गया।
बिहार के करीब 76 हजार सरकारी स्कूलों में चार कैटोगरी के शिक्षक काम करते रहेंगे। इसके कारण गुटबाजी होना भी स्वभाविक है।विशिष्ट और बीपीएससी शिक्षकों की संख्या का बडा वर्ग हो गया है। अभी भी विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के कई स्कूलों में स्थानीय और बाहरी शिक्षकों की गुटबाजी और दबदबा के कारण विद्यालय संचालन में बाधा एवं कठिनाई की शिकायतें सचिवालय तक आ रही हैं। इसी कारण घर से दूर रखकर पढाई करने की मंशा से नीति और नियम बने । फिलहाल सब रूक गया है।
गुणात्मक सुधार? 
सीएम नीतीश कुमार के कार्यकाल में बेशक स्कूल भवन बने,क्लास रूम बढे और शिक्षकों की संख्या बढी है। परंतु अभी भी ये पर्याप्त नहीं हैं। सैकडों स्कूलों में  प्रति 60 छात्र पर एक शिक्षक की जरूरत है। जिन स्कूलों में दो से पांच हजार छात्र पंजीकृत हैं वहा शिक्षकों का स्वीकृत पदों की संख्या बढाने की दरकार है। उत्क्रमित विद्यालयों में छात्रों की संख्या के हिसाब से सेधेश नहीं है।वहां दो शिफ्ट में विद्यालय संचालन की नीति अमल करने की जरुरत है।
शिक्षकों के काम का मूल्यांकन पद्धति लागू करने की जरुरत है।इसके बगैर पढाई के स्तर में सुधार की परिकल्पना भी व्यर्थ है। शिक्षकों के नियत समय से आने-जाने के लिए ऐप से हाजिरी की नई व्यवस्था और छात्रों को सरकारी सुविधाओं और परीक्षोत्तीर्णता के लिए 75% उपस्थिति की अनिवार्यता सही पहल है।





 


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