बिजलीमय बिहार-8005 मेगावाट आपूति का बना रिकार्ड
23 सितंबर की रात 21ः53 बजे 8005 मेगावाट की अब तक की सबसे अधिक मांग को पूरा कर बिहार ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।

8005 मेगावाट बिजली आपूर्ति के साथ बिहार ने बनाया नया रिकॉर्ड

ऽबिहार में बिजली आपूर्ति की मांग सर्वकालिक (।सस ज्पउम) अधिकतम 8005 मेगावाट दर्ज हुई।

ऽबिजली मांग में निरंतर वृद्धि राज्य में सर्वांगीण एवं समावेशी विकास का परिणाम

पटना, 24 सितंबर ।  ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री  बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में बिहार में बिजली उपभोक्ताओं की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ऊर्जा विभाग एवं बिजली कंपनियां प्रतिबद्ध हैं। विद्युत आपूर्ति की अधिकतम मांग में निरंतर वृद्धि राज्य में सर्वांगीण एवं समावेशी विकास का द्योतक है। यही कारण है कि बिहार बिजली की आपूर्ति और मांग के क्षेत्र में निरंतर नया इतिहास रच रहा है। 23 सितंबर, 2024 सोमवार (रात्रि 09ः53 बजे) को बिहार में बिजली आपूर्ति की अधिकतम मांग 8005 मेगावाट दर्ज की गई।

23 सितंबर, 2024 को ही राज्य की दोनों विद्युत वितरण कंपनियों- साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एसबीपीडीसीएल) और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एनबीपीडीसीएल) ने भी अपने-अपने क्षेत्रों में भी विद्युत आपूर्ति की अधिकतम मांगों को पूरा किया।

 ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री  बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि राज्य में बिजली की मांग निरंतर बढ़ रही है। उपभोक्ताओं की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारी टीम उत्पादन संचरण एवं वितरण प्रणाली के विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण पर निरंतर काम कर रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में अधिकतम मांग 700 मेगावाट थी जो वर्तमान में बढ़कर 8005 मेगावाट हो गई है।
उन्होंने यह भी कहा कि  मुख्यमंत्री के निर्देश के आलोक में बिहार के लोगों को ससती दर पर बिजली उपलब्ध करायी जा रही है जिस मद में इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा 15,343 करोड रुपये की सबसीडी दी गई है। इसके फलस्वरूप बिहार में बिजली पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल की तुलना में सस्ती दर पर मुहैया करायी जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार इस वर्ष में 15,343 करोड़ रुपये अनुदान के रूप में खर्च कर रही है। सस्ती बिजली मिलने के कारण भी राज्य के सर्वांगीण विकास की दर बढ़ी है एवं विद्युत की मांग में लगातार वृद्धि भी हो रही है। 

 मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बिहार का बिजली क्षेत्र लगातार प्रगति पथ पर

 मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में बिहार ने बिजली क्षेत्र में अनेक कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं। 2005 में जहां बिहार में केवल 17 लाख उपभोक्ता थे, वह अब बढ़कर 2 करोड़ 7 लाख से अधिक हो गई है। प्रति व्यक्ति बिजली की खपत भी जो उस समय मात्र 70 यूनिट थी अब बढ़कर 360 यूनिट हो गई है। शहरी क्षेत्रों में 23-24 घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 21-22 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है। इसी अवधि में कृषि फीडर की संख्या भी बढ़कर 935 हो गई है एवं कृषि के पटवन कार्य हेतु उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 4 लाख 14 हजार हो गई है।

राज्य के विद्युत प्रणाली के विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण के लिए विद्युत उत्पादन, उपलब्धता, संचरण एवं वितरण सभी क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर कार्य किया गया है जिसके फलस्वरूप राज्य में पावर सब स्टेशन की संख्या 368 से बढ़कर 1250, 33 के0वी एवं 11 केवी लाइन की लंबाई में 3 गुना वृद्धि हुई है। ग्रिड सब स्टेशन की संख्या जो वर्ष 2005 में 45 थी वर्तमान में बढ़कर 168 हो गई है। संचरण लाइन की कुल लंबाई 5000 सर्किट किलोमीटर से बढ़कर 20,328 सर्किट किलोमीटर तथा संचरण प्रणाली की विद्युत निकासी क्षमता 1000 मेगावाट से बढ़कर 14,776 मेगावाट हो गई है। ऊर्जा विभाग नवी एवं नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में लगातार प्रगति के पथ पर है। वर्तमान में राज्य में 1000 मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है। राज्य में सौर ऊर्जा उत्पादन के नए नए स्रोतों पर युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। 

ऊर्जा प्रक्षेत्र में हुए इन बड़े पैमाने पर संचरणा के क्षेत्र में किये गये कार्य एवं अन्य सुधारों के फलस्वरूप न केवल राज्य को विद्युत के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया है, बल्कि औद्योगिक एवं कृषि क्षेत्र में विकास के नये आयाम पैदा हुए हैं। साथ ही साथ शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी राज्य में विकास की नयी उँचाईयों की ओर अग्रसर हो चला है। विश्वसनीय और पर्याप्त बिजली आपूर्ति से राज्य में उद्योगों की स्थापना और विस्तार को प्रोत्साहन मिल रहा है, जिसके फलस्वरूप रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर हुई है। 

 मुख्यमंत्री ने राज्य के बिजली की स्थिति में सुधार का जो संकल्प लिया था, वह अब मूर्त रूप से विद्युत की आपूर्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि से परिलक्षित हुई है जो विकास के सभी प्रक्षेत्रों में परिलक्षित होने लगा है।

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