आरसीपी ने बना ली अपनी पार्टी,नाम है
पटना,31 अक्टूबर ।
जदयू के पूर्व अध्यक्ष एवं भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने गुरुवार को अपनी नई पार्टी की घोषणा कर दी . सरदार पटेल की जयंती के मौके पर उन्होंने कहा कि पार्टी का नाम "आप सबकी आवाज" है. पार्टी लॉन्च के लिए उन्होंने ये दिन इसलिए चुना है, क्योंकि सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती इसी दिन है। पटेल गुजरात के लेवा पाटीदार जाति से आते हैं, जिसे बिहार में कुर्मी कहा जाता है।।               मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वजातीय एवं गृह जिला नालंदा वासी आरसीपी एक अरसे तक नजदीकी रहे । आईएएस अफसर रहते नीतीश कुमार के रेल मंत्री और सीएम रहते साथ रहे। जदयू में नीतीश के बाद नम्बर दो की हैसियत रखने वाले आरसीपी की शासन और पार्टी में तूती बोलती थी।उन्हें राज्यसभा सदस्य,जदयू का अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री पद मिला। मंत्री बनने के बाद भाजपा से नजदीकी बढना महंगा पडा। पहले अध्यक्ष पद से इस्तीफा करा ललन सिंह को अध्यक्ष बनाया गया। आरसीपी-ललन सिंह में पार्टी में ही एक-दूसरे के प्रतिद्व॔द्वी हो गये। राज्यसभा से जदयू से बेटिकट होने पर मंत्री पद छोडना पडा। फिर वे भाजपा में शामिल हो गये। नीतीश कुमार के भाजपा से नई दोस्ती के बाद आरसीपी सिंह के लिए सबकुछ उलटा पड गया। पार्टी में पूछ समाप्त होने के साथ लोकसभा में नालंदा से कैंडिडेट बनाने की उम्मीद भी धरी रह गई।
करीब डेढ़ साल में ही नौकरशाह से राजनेता बने  रामचंद्र प्रसाद सिंह  का भाजपा से मोहभंग हो गया । आरसीपी के नई पार्टी बनाने की घोषणा से राजनीतिक गलियारों में नफा-नुकसान का आंकलन हो रहा है।भाजपा में उनकी राजनीतिक इच्छाएं पूरी नहीं हुई तो उन्होंने अब अपनी अलग पार्टी बना ली है. "आप सबकी आवाज" संक्षेप में "आसा" के संस्थापक आरसीपी ने पार्टी का तिरंगा झंडा पसंद किया है। झंडा का ऊपरी हिस्सा हरा,मध्य पीला और नीचे नीला होगा।चुनाव आयोग से चुनाव चिह्न मिलने पर यह पीले भाग में बीच में रहेगा।
आरसीपी सिंह ने कहा कि बिहार का विकास उनका मुख्य लक्ष्य होगा. बिहार में उद्योग कैसे लगे यह प्राथमिकता होगी. आज के युग में हाइड्रोजन सबसे बड़ा मुख्य स्रोत बनने वाला है. बिहार में अनेकों स्रोत है लेकिन बिहार के लोग और नेता बालू से आगे नहीं बढ़ रहे हैं. जबकि यहां अनेक संभावना है. सोना का भंडार भी बिहार में है, यदि वो कुछ दिन मंत्री रहते तो उसपर भी काम शुरू हो जाता.
माना जा रहा है कि विधानसभा का अगले वर्ष होने वाले चुनाव में आरसी की "आसा"राजग को मुख्य रूप से निशाने पर रखने के साथ नीतीश कुमार के लिए गृह जिला में ही राजनीतिक मुसीबत बनने की कोशिश करेगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश के ही करीबी रहे प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी और आरसीपी का "आसा क्या बिगाड पाते है।

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