ऐसे होगा शिक्षा में सुधार,लाखों शिक्षकों  के सामूहिक स्थानान्तरण-पदस्थापन का इतिहास रचेगी सरकार इतिहास रचने की ओर बढा बिहार
अरुण कुमार पाण्डेय 
बिहार में शिक्षा में सुधार उपायों के तहत प्रयोग का रेकॉर्ड बनाती रही है नीतीश कुमार। स्कूल और कालेज शिक्षकों की नियुक्ति के कई बार नियम बने-बदले हैं पर अभी भी शिक्षकों कमी बरकरार है। बम्पर नियुक्ति के साथ अब बम्पर ट्रासंफर होगा। नव चयवित  38 हजार हेड टीचर और 6 हजार हेड मास्टर की भी जल्द ही पोस्टिंग होनी है। उत्क्रमित प्राथमिक और उच्च विद्यालयों में हेड की कमी दूर होने वाली है।
सरकार अब तीन लाख से अधिक शिक्षकों को घर से दूर स्थानांतरण करने के उपायों में लग गयी है। समझ है कि घर से दूर रहने पर ही  शिक्षक अपने स्कूल के समीप ही रहकर समय से आकर पढाने का काम करेंगे। इसी मंशा से भारी जद्दोजहद के बाद शिक्षकों के स्थानांतरण-पदस्थापन की नई  नीति बनी है। तीन केटेगरी- नियमित, अध्यापक और विशिष्ट शिक्षक की पात्रता हासिल कर चुके नियोजित शिक्षकों के स्थानांतरण-पदस्थापन को लेकर 7 नवम्बर से आनलाईन आवेदन की प्रक्रिया चालू हो गई है। 22 नवम्बर तक विहित फार्मेट में तीन-तीन अनिवार्य विकल सहित 10-10 विकल्प देना है ,जहां पपदस्थापन के लिए शिक्षक इच्छुक हैं। विभाग ने सचिवालय-निदेशालय स्तर पर विचार और समीक्षोपरां 31 दिसम्बर तक  सामूहिक स्थानान्तरण-पदस्थापन का आदेश जारी करने का  लक्ष्य तय किया है।
नये वर्ष  2025 में पहले ही सप्ताहांत नये विद्यालय में योगदान करना होगा। विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि नव पदस्थापित स्कूल से ही दिसम्बर का वेतन सुलभ होगा।
 नियोजित शिक्षकों के संगठनों की ओर स्थानांतरण-पदस्थापन की नीति को लेकर लडाई भी लडी गई है।पर अब 3.50 लाख नियोजित शिक्षकों में अधिसंख्य को उलटा पड गया है। यह नीति उन्ही शिक्षकों लिए लागू होगी जो आवेदन और आप्शन देंगे।विशिष्ट शिक्षक बनने की चाहत से दूर और सक्षमता परीक्षा नहीं देने या पास करने वाले शि जहां हैं वहीं रह जायें।उन्हे भी वेतन,डीए और और हाउस रेंट भत्ता सहित सबकुछ मिल ही रहा है।
सरकार ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी बीपीएससी नियुक्त दो लाख अध्यापकों से पूरी कर ली है। 35 हजार नियोजित शिक्षक भी अपनी मेधा की डंका बजा अध्यापक बन गये है। नई नौकरी के खातिर सरकारीकर्मी का दर्जा के साथ अध्यापकों को सरकार ने जहा चाहा-कहा योगदान हो गया।इन अध्यापकों में 25 हजार से अधिक गैर बिहारी हैं जिन्हें सामान्य श्रेणी के पदों पर जगह मिली है। बिहार सरकार की नौकरियों में आरक्षण का लाभ बिहारियों तक सीमित है।
धर सच कहा जाय तो 3.50 नियोजित शिक्षकों की परशानी नहीं थम रही। उनकी योग्यता पर उठते सवाल देख बिना शर्त सरकारीकर्मी का दर्जा देने मांग सरकार नहीं मानी। अधिसंख्य  नियोजित शिक्षकों ने  बीपीएससी की परीक्षा का बहिष्कार किया किंतु अंत:सक्षमता परीक्षा देनी ही पडी। इसी परीक्षा में  1,87 लाख नियोजित शिक्षकों  को  वर्षों से जुडा स्कूल छोड घर से दूर जाना ही होगा। विशिष्ट शिक्षक बनना है और अध्यापक के समान वेतन-सुविधा लेनी है तो 3-3 अनिवार्य विकल्प सहित 10-10 विकल्प देकर नयी जगह जानी होगी। सरकार ने इसके साथ स्पस्ट कर दिया है कि विकल्प की जगह तभी मिलेगी जब वहां पद खाली मिलेगा। पद खाली नहीं मिला तो उसके बाहर भी जाना पड़गा । फिलहाल बिहार के बाहर के शिक्षक की परेशानी कम होने का बडा अवसर मिला है।है। वर्तमान पदस्धापन से हटने के लिए नई जगह का 10 विकल्प पर जाने की राह खुली है।
अब तो शिक्षकों का प्रत्येक पाच वर्ष पर स्थानांतरण-पदस्थापन की भी राह खुलेगी।
नये नियम के तहत महिला शिक्षक को गृह पंचायत से बाहर 10 पंचायत का विकल्प देना है।स्वभाविक है,अधिसंख्य महिला शिक्षक का प्रखंड बदल जायेगा।वहीं पुरुष शिक्षक को गृह अनुमण्डल से बाहर तीन अनिवार्य विकल्प सहित 10 अनुमण्डल का विकल्प देना है। तब अधिसंख्य पुरुष शिक्षक का जिला बदल जायेगा। प्रदेश के 38 जिलों से सिर्फ 7 जिले-पटना,गया,बेगूसराय,पूर्वी चंपारण,सुपौल,मधुबनी और समस्तीपुर में चार अनुमण्डल हैं। सात जिले-जहानाबाद,अरवल,शेखपुरा,लखीसराय,जमुई,बांका,किशनगंज और शिवहर में एक ही अनुमण्डल है।इसी तरह दो और तीन  अनुमंडल वाले भी जिले हैं।।सबसे बडा सवाल है कि सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण होने पर तीन जिलों के विकल्प का क्या होगा? मेधांक के आधार पर विकल्प का जिला में स्स्थानांतरण-पदस्थापन की बात थी। एसीएस केके पाठक का इसी वर्ष 7 फरवरी के उस आदेश का क्या हुआ जिसमें सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों को शहर के स्कूलों में शिक्षकों की कमी देख पदस्थापन के लिए रिक्ति मांगी गयी थी।
अब तो विशेष रूप से नियोजित शिक्षक की समझ है कि केके पाठक ने शिक्षकों  के ससमय  स्कूल आने-जाने के लिए और विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का उपाय शिक्षा में सुधार के लिए कारगर रहा। हां, उनके कई फरमान,बोली शैली, विद्यालय की समय सारणी बढाने,अवकाश में कटौती, दंड बतौर वेतन बंद करने,संघ बनाने पर रोक व दंड, स्कूल का समय सीएम के आदेश के बावजूद नहीं बदलना,राजभवन से टकराव,विभागीय मंत्री की उपेक्षा के दृष्टांत को  उचित  नदी कहा जा सकता है। बीपीएससी के माध्यम से चंद महीनों मे दो लाख अध्यापकों की नियुक्ति को बडी उपस्थित मानी जायेगी।
अब लाख टके का  सवाल है शिक्षकों का सामूहिक तबादले की तैयारी किसके हित में है? लंबे समय से हो रही मांग पर मौजूदा प्रक्रिया से स्थानांतरण-पदस्थापन से शिक्षकों को सुविधा होगी?यह वरदान है या प्रताड़ित होंगे? शिक्षकों को घर से दूर रहने से पढाई में सुधार होगी? पहले शिक्षक ससमय स्कूल नहीं आते जाते तो यह सिस्टम की विफलता नहीं कहेंगे? 
अब तो शिक्षकों की मांग है;  वर्तमान स्थानांतरण नीति में बदलाव अपेक्षित है
:- 01. महिलाओं के लिए पदास्थापित विद्यालय छोड़कर 10 विद्यालय का ऑप्शन होना चाहिए। 
2. पुरुषों के लिए पदस्थापित पंचायत छोड़कर 10 पंचायत का ऑप्शन होना चाहिए।
3. असाध्य रोगों में पति,पत्नी, बच्चे के साथ-साथ माता-पिता को भी जोड़ा जाए।
4. जिला स्तरीय संघीय शिक्षक प्रतिनिधियों को जिला मुख्यालय के नजदीक पदस्थापन की व्यवस्था होनी चाहिए।
5. शहरी क्षेत्र में नगर निगम /नगर परिषद/ नगर पंचायत मे पदस्थापित/ गृह की बाध्यता के स्थान पर वार्ड न0 होना चाहिए
6. महिलाओं के लिए पदस्थापित विद्यालय की बाध्यता होनी चाहिए। 
7. पुरुषों के लिए पदस्थापित पंचायत की बाध्यता होनी चाहिए।
8. स्वयं के पदस्थापित विद्यालय/पंचायत की बाध्यता होनी चाहिए, ना कि पति/पत्नी दोनो के पदास्थापित विद्यालय या पंचायत की।
9. असाध्य रोग/ विकलांग शिक्षकों का ऐच्छिक स्थानांतरण होना चाहिए या पदस्थापित विद्यालय में ही छोड़ देना चाहिए।
10. सक्षमता परीक्षा उत्तीर्णता की तिथि से विशिष्ट शिक्षक का लाभ मिलना चाहिए ना की योगदान की तिथि से। 
नवंबर,2025 में बिहार विधानसभा का चुनाव नियत है ।चुनावी वर्ष में लाखों शिक्षक परिवारों की परेशानी की अनदेखी सत्ताधारी दल  को कहीं भारी न पडे।ऐसे भी जमीन का सर्वे और प्रीपेड स्मार्ट मीटर से लोगों का दर्द कम होता नहीं दिख रहा है।बिहार में दो करोड से अधिक विद्युत उपभोक्ता हैं ।सरकार मार्च तक सभी घरों यह मीटर लगवा कर ऐसा का करने बाला बिहार पहला राज्य बनाने पर अडिग है।उसी तरह शताब्दी पूर्व हुए सर्वे के बाद आजादी के बाद पहली बार सर्वे कराने का भी नीतीश सरकार रिकार्ड बनाने पर आमादा है।
इन वर्तमान ज्वलंत समस्याओं से वाकिफ रहते सरकार पीछे होने के मूड में नहीं है। आप क्या सोचते हैं? 


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