कबीर साईं मंदिर में साप्ताहिक सत्संग
*मोको कहाँ ढूँढे बंदे मैं तो तेरे पास में -मंहत गोविंद दास शास्त्री*

 *निर्मल और पवित्र मन से करे प्रार्थना -प्रोफेसर डॉक्टर हरीश दास जी* 

पटना कबीरपंथी आश्रम कबीर साईं मंदिर मीठापुर में आचार्य महंत श्री ब्रजेश मुनि महाराज जी के पावन सानिध्य में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में सद्गुरु कबीर 
साहेब की प्राकट्य भूमि लहरतारा धाम काशी वाराणसी से पधारे मंहत श्री गोविन्द दासजी शास्त्री जी ने कहा कि मोको कहाँ ढूँढे बंदे मैं तो तेरे पास में ना मैं देवल ना मैं मस्जिद ना काबे कैलाश मैं
बंदे तू मुझे कहाँ ढूँढता फिर रहा है, मैं तो तेरे पास ही हूँ.
न मैं मंदिर में मिलूँगा न मस्जिद में, न का’बे और कैलाश में, न पूजा-पाठ में, न योग-बैराग में.
सच्चे मन से खोजने वाला हो तो उसे मैं पल भर की तलाश में मिल जाऊँगा
इसी कड़ी में पटना विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर डॉ हरीश दास जी ने कहा कि कबीरा मन निर्मल भया जैसे गंगा नीर ,पाछै पाछै हरि फिरै ,कहत कबीर कबीर। अगर अपने मन को पवित्र बनाया है तो फिर खुद भगवान ढूंढेगा, आपको फिर भगवान को खोजने की जरूरत नहीं है। आपका मन अगर पवित्र रहेगा तो भगवान आपके पीछे आ जायेगा।
इस अवसर पर इग्नो दिल्ली से पधारे डॉ मनोज कुमार जी ने कहा कि कबीर जीवन दर्शन प्रचार प्रसार की जन-जन की आवश्यकता है इस *अवसर* पर आश्रम के संत विवेक मुनि, रामदास मुनि, करसन मुनि महाराज उपस्थित थे।
इस दौरान भक्तिमती रुबी देवी, दुलारी देवी, उषा देवी, ने कबीर साईं के भजन गाकर वातावरण को भक्तिमय बनाया।

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