नोबेल विजेता अर्थसास्त्री मोहम्मद युनूस बने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली. यूनुस (84) को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने राष्ट्रपति भवन ‘बंगभवन’ में आयोजित एक समारोह में पद की शपथ दिलाई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनुस को बधाई दी और उम्मीद जताई की बांग्लादेश में हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी.

वर्ष 2006 में नोबेल पुरस्कार पाने वाले यूनुस को मंगलवार को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन द्वारा संसद भंग किए जाने के बाद अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया था.अंतरिम सरकार के चेहरे
प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस: बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक के संस्थापक। गरीबों को 100 डॉलर से कम राशि का लोन देकर जमीनी स्तर पर आर्थिक हालात बदले। 2006 के नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित।
डॉ. सलाहुद्दीन अहमद: मई 2005 से अप्रैल 2009 तक बांग्लादेश बैंक के गवर्नर रहे। देश के बैंकिंग क्षेत्र में व्यापक सुधार किया।
ब्रिगेडियर जनरल सखावत हुसैन: 2007 से 2012 तक देश के चुनाव आयुक्त रहे। सेना में ब्रिगेडियर जनरल के पद से सेवानिवृत। सुरक्षा एवं रक्षा विशेषज्ञ। 
डॉ. मोहम्मद नजरूल इस्लाम: लॉ के प्रोफेसर, शोधार्थी और नागरिक समाज कार्यकर्ता। 2011 से 17 तक दक्षिण एशिया मानवाधिकार संस्था के ब्यूरो सदस्य रहे। संविधान व अंतरराष्ट्रीय कानूनों पर कई पुस्तकें लिखीं।
अदिलुर रहमान खान: बांग्लादेश के मानवाधिकार संगठन ओधिकार (अधिकार) के संस्थापक और मानवाधिकार कार्यकर्ता। देश के डिप्टी अटॉर्नी जनरल रहे हैं और वकील के रूप में सेवाएं दी हैं
एएफ हसन आरिफ: देश के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील। 1970 से वकालत के पेशे में। 2001 से 2005 के बीच देश के अटॉर्नी जनरल रहे। कलकत्ता हाईकोर्ट से वकालत शुरू की।
मोहम्मद तौहिद हुसैन: 2006-09 के बीच देश विदेश सचिव रहे। दक्षिण अफ्रीका में बांग्लादेश के उच्चायुक्त के रूप में सेवाएं दीं। 
सईदा रिजवाना हसन: बांग्लादेश एनवायरनमेंटल लॉयर्स एसोसिएशन (बेला) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी। एनवायरनमेंट लॉ अलायंस वर्ल्डवाइड की सदस्य। 
सुप्रदीप चकमा: 1985 बैच के बांग्लादेश सिविल सर्विस अधिकारी। चटगांव हिल ट्रैक्ट डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष। वियतनाम व मैक्सिको में बांग्लादेश के राजदूत रहे। 
फरीदा अख्तर: कृषि, मरीन फिशरीज, जनसंख्या और विकास के मुद्दों पर गहन शोध। उनकी संस्था यूबीआईएनआईजी बायोडायवर्सिटी आधारित खेती व्यवस्था को बढ़ावा दे रही है।

Top