यात्रा शुरू हुई तो वाहन से कैलाश मानसरोवर जा सकेंगे श्रद्धालु , ऐसे जगी उम्मीद
 डा.निरंजन  कुमार की रिपोर्ट 

चीन में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई सकारात्मक बातचीत से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने की उम्मीद जग गई है। यदि यात्रा शुरू होती है तो यह पहली बार होगा जब कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु वाहन से ही पूरी यात्रा कर सकेंगे। यात्रियों को कठिन रास्तों से होते हुए पैदल नहीं चलना पड़ेगा। 
         तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की यात्रा हिंदुओं की प्रमुख धार्मिक यात्रा है। वर्ष 1962 से पहले भारत से श्रद्धालु बिना रोक-टोक सदियों से चली आ रही इस धार्मिक यात्रा पर जाते थे। भारत-चीन युद्ध के बाद यह यात्रा 19 साल तक बंद रही। दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार के बाद वर्ष 1981 में यात्रा दोबारा शुरू हुई। कुमाऊं मंडल विकास निगम इस यात्रा का संचालन करता है। साल 2019 तक लगातार यात्रा का संचालन हुआ। चीन के साथ सीमा विवाद और कोरोना काल के चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा वर्ष 2019 से बंद है। विश्व प्रसिद्ध इस यात्रा के संचालन को लेकर प्रयास चल रहे हैं। इस साल अक्तूबर में रूस के कजान में भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात से ही यात्रा के संचालन की उम्मीद की जा रही थी। अब चीन में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई सकारात्मक बातचीत से तय है कि आने वाले साल में यह प्रसिद्ध धार्मिक यात्रा शुरू हो जाएगी। दिल्ली से शुरू होने वाली इस धार्मिक यात्रा पर जाने के लिए यात्रियों को धारचूला के तवाघाट या घट्टाबगड़ से लिपुलेख तक करीब 95 किमी पैदल चलना होता था। बूंदी , गुंजी , नाभि सहित विभिन्न पड़ावों पर ठहरने के बाद लिपुलेख दर्रे से यात्रियों का दल चीन में प्रवेश करता था। इस तरह कैलाश मानसरोवर यात्रा में 18 दिन का समय लगता था। अब भारत लिपुलेख तक सड़क बना चुका है। चीन ने पहले ही अपनी सीमा पर पक्की सड़क बना ली थी। लिपुलेख तक सड़क बनने के बाद कैलाश मानसरोवर जाने के लिए यात्रियों को पैदल नहीं चलना पड़ेगा और यात्रा कम समय में पूरी हो जाएगी। वर्ष 1981 से कुमाऊं मंडल विकास निगम ने 2019 तक कैलाश मानसरोवर यात्रा का सफल संचालन किया है। पिथौरागढ़ जिले से ही कैलाश का पौराणिक मार्ग है। यात्रा पौराणिक मार्ग से ही संचालित की जानी चाहिए। यदि भविष्य में यात्रा शुरू होती है तो सीमांत जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। श्रद्धालु यात्रा आरंभ होने की आश देख रहे हैं।

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