लोकसभा चुनाव में बिहार के सीमांचल क्षेत्र में  एआईएमआईएम अपना दमखम दिखायेगी  : औवैसी

पटना। लोकसभा के आसन्न चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम)  बिहार में कम से कम आधा दर्जन सीटों पर अपनी ताकत  दिखाने के लिए उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है। कांग्रेस की कब्जे वाली मुस्लिम बहुल किशनगंज सीट पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक  अख्तरुल ईमान का लड़ना तय है।
 पार्टी अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को इस बात की जानकारी दी।उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में झारखंड में भी  दो या तीन सीट पर उम्मीदवार उतारने की  योजना बना रही है।  उन्होंने ने संवाददाताओं से कहा, हम आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार के सीमांचल क्षेत्र से अधिक संसदीय सीट पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में हमने इस क्षेत्र में केवल एक सीट पर चुनाव लड़ा था और वह किशनगंज सीट थी। उन्होंने कहा, इस बार किशनगंज के अलावा हम तीन और सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहे हैं। अंतिम निर्णय बहुत जल्द लिया जाएगा। 
मालूम हो कि बिहार विधानसभा चुनाव में सीमांचल की पांच सीटें जीतकर  कांग्रेस-राजद-जदयू के लिए  बडी चुनौती देने का संदेश दे दिया था। बाद में विधायक अख्तरुल ईमान को छोड़कर अन्य चार विधायकों ने राज का दामन थाम पार्टी को बड़ा झटका दे दिया। एआईएमआईएमइस बार के लोकसभा चुनाव में राजद को सबक सीखाने की ठानी है जिसका यादव मुस्लिम समीकरण मुख्य जनाधार कहा जातआ है।
ओवैसी ने कहा, मैंने झारखंड के पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की है। हम 2024 के लोकसभा चुनाव में आदिवासी राज्य की दो से तीन सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रहे हैं। 
एआईएमआईएम अध्यक्ष बिहार के सीमांचल क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। पार्टी के जिलाध्यक्ष की हत्या के बाद वे पीडित परिवार को सांत्वना देने  पहुंचे हैं। 
बिहार में सीमांचल मुसलमान बहुल क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। इनमें  चार पूर्वी-उत्तर जिले पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार आते हैं। दरभंगा,मधुबनी और भागलपुर में भी मुसलमानों के निर्णायक वोट हैं।
किशनगंज में प्रस्तावित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के परिसर के बारे में ओवैसी ने कहा, ‘‘किशनगंज में एएमयू परिसर अब काम नहीं कर रहा है... इसके लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार जिम्मेदार है। अगर केंद्र और राज्य सरकार, दोनों मामले को गंभीरता से लें तो किशनगंज में एएमयू परिसर के निर्माण की राह में आने वाली प्रशासनिक और तकनीकी बाधाओं को आसानी से हल किया जा सकता है।’’
बिहार में एआईएमआईएम भाजपा के साथ विपक्षी महागठबंधन से भी दूरी रखकर चल रही है। एआईएमआईएम के कारण मुस्लिम वोट बंटने पर भाजपा को राजनीतिक लाभ मिलना तय है।

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