KK Pathak ने रचा इतिहास, राज्यपाल को पढाया कानून का पा
पटना,13 अप्रैल । राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच चल हा विवाद आज हद पार गया है। कुलाधिपति की हैसियत से राजभवन द्वारा शिक्शा विभाग को हाल में दिये निर्देशों से खिन्न होकर अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने पलटवार अंदाज में पत्र लिखा है। किसी राज्यपाल को अधिकारी द्वारा शायद पहली बार इस अंदाज में प्त्र लिखा गया है।
स्कूलों की टाइमिंग सीएम के निर्देश के बाबजूद नही बदला गया।9 बजे से 5 बजे तक की टाइमिंग लागू है।
अब यह लाख टके का सवाल है कि क्या राज्यपाल और सीएम से अधिकारी बडा है। केके पाठक की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के मुरीद हैं सीएम नीतीश कुमार। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर केके पाठक के जाने पर सीएम सममति जता चुके हैं।
मालूम हो कि राज्यपाल का पद संवैधानिक है।वह सरकार के प्रशासनिक प्रमुख भी हैं पर वह कोई भी काम मंत्रिपरिषद यथा सीएम की सलाह के अनुरूप ही कर सकते हैं ।राज्यपाल पदेन कुलाधिपति हैं यह पद कानून के तहत बना है। केके पाठक ने विश्वविद्यालय अधिनियम के हवाले कहा है कि कुलाधिपति भी अधिकारी हैं। शिक्षा विभाग विश्वविद्यालय का भी प्रशासी विभाग है।
शिक्षा विभाग द्वारा बुलाई गयी कुलपतियों की बैठक में नहीं जाने संबंधी राजभवन के कई निर्देश पत्रों पर पाठक ने कडी आपत्ति जताई है राज्यपाल के प्रधान सचिव को  लिखे पत्र में आइंदा ऐसा पत्र नहीं लिखने की अपेक्षा भी की गई  है।
अब केके पाठक ने राज्यपाल के आदेश पर गंभीर आपत्ति जताया है. उन्होंने राजभवन सचिवालय को शिक्षा विभाग के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करने की सलाह दी है.
केके पाठक ने राज्यपाल सचिवालय को शुक्रवार को पत्र भेजा है और नसीहत दी है. केके पाठक ने कहा है कि आपको धारा 9(7) (2) शक्ति प्रदान करता है. उन्होंने राज्यपाल सह कुलाधिपति से सवाल पूछा है कि चांसलर को यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के बीच विद्रोह भड़काने और अराजकता पैदा करने की अनुमति है क्या?
राजभवन सचिवालय को लिखे पत्र में केके पाठक ने आगे कहा है कि चांसलर शक्ति का प्रयोग कर आदेश की अवहेलना नहीं कर सकते. यह अधिकार आपको नहीं है. राज्यपाल सचिवालय का 21 दिसंबर 2023 के आदेश का हवाला देते हुए केके पाठक ने कहा है कि किस कानून के मुताबिक आप प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा से संबंधित मामले को निपटने का अधिकार रखते हैं? किस हैसियत से आपने सभी वीसी को शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल नहीं होने का आदेश दिया?
राज्यपाल सचिवालय का 21 दिसंबर 2023 के आदेश का हवाला देते हुए केके पाठक ने कहा है कि किस कानून के मुताबिक आप प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा से संबंधित मामले को निपटने का अधिकार रखते हैं? किस हैसियत से आपने सभी वीसी को शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल नहीं होने का आदेश दिया?राजभवन ने 29 फरवरी 2024 को पत्र जारी कर वीसी को शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल नहीं होने का आदेश दिया था. केके पाठक ने राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम धारा 7 का जिक्र करते हुए कहा है कि इस धारा के तहत चांसलर, कुलपति, रजिस्टार, डीन जैसे अन्य अधिकारी के साथ-साथ यूनिवर्सिटी का एक अधिकारी होता है. प्रोक्टर इसे जारी नहीं कर सकता है.


 कुलाधिपति के निर्देश पर गंभीर आपत्ति


केके पाठक ने इसके साथ ही राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्यू से सवाल पूछा है कि क्या आपने राज्यपाल के आदेश से मुझे अवगत कराया है. यदि आदेश राज्यपाल की ओर से है तो मुझे यह बताने के अलावा कुछ नहीं कहना कि कुलाधिपति की कुर्सी उच्च संवैधानिक स्थिति होती है इसलिए यह अधिक उपयुक्त होता कि आप मुख्यमंत्री या फिर मंत्री से संवाद करते.
राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच संबंध टकराव का नतीजा है कि यूनिवर्सिटी का खाता संचालन पर रोक लगी है। कुलपतियों का वेतन रोक रखने के साथ धाने में एफआईआर भी दर्ज।है। परीक्षा व सत्रनियमित करने सहित अन्य व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर आईएएस केके पाठक ने विश्विद्यालयों के वीसी की बैठक बुलाई थी. पाठक अब तक कुल छह बार बैठक बुला चुके हैं, लेकिन विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर बैठक में शामिल नहीं हुए. राजभवन की ओर से मनाही के बाद वीसी बैठक से दूर रहे.



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