Sign In
Contact
Patna, 27
o
C
Toggle navigation
देश
बिहार
झारखंड
राजनीति
अपराध
खेल
करियर
कारोबार
पंचांग-राशिफल
लाइफ स्टाइल
विदेश
ओपिनियन
विशेष
Home
Single Post
मुर्शिदाबाद की घटनाओं की अनदेखी न करें
प्रेम कुमार मणि ,Ex MLC
आज मेरे सामने इंडियन एक्सप्रेस अख़बार पसरा है और इसकी मुख्य खबर मुर्शिदाबाद को लेकर है. 24 वर्षीया सप्तमी मंडल की पीड़ा कि हम अपने ही देस में शरणार्थी हो गए, किसी को भी विचलित कर सकती है. वक़्फ़ कानून को लेकर वहाँ कई रोज से हिंसा जारी है और लोग भाग रहे हैं. कौन भाग रहे हैं? गरीब और पिछड़ी जात के हिन्दू. इन गरीबों ने मर्जी से मजहब का चुनाव नहीं किया था. हाँ, अपनी परंपरा पर बने रहना जरूर चाहते होंगे. उनका वक़्फ़ कानून और सियासत से क्या वास्ता. लेकिन कहावत है खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे. वहाँ के कट्टर मुसलमानों को लग रहा होगा कि इससे उनकी मांग को बल मिलेगा. मानो बिल की वापसी से मुसलमानों को जन्नत मिल जाएगा.
मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल प्रान्त का एक शहर है और जिला भी. यह कभी बंगाल की राजधानी हुआ करता था. यहीं अलवर्दी खान और उसके नाती सिराजुदौला ने राज किया था. ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहीं से भारत की राजनीति में प्रवेश किया था. जिले की धार्मिक आबादी में मुसलमान 75 फीसद हैं. हिन्दुओं में 99 फीसद से अधिक दलित और पिछड़ी जाति के लोग हैं.
सप्तमी मंडल और उनकी जमात की पीड़ा पर गंगा-जमुनी और साझा संस्कृति के झंडाबरदार चुप हैं. गोधरा की हिंसा पर धरना प्रदर्शन करने वाले चुप हैं. अल्पसंख्यक राजनीति के फलसफे लिखने वाले चुप हैं. मुर्शिदाबाद की डेमोग्राफी में ये गरीब केवल हिन्दू होने के कारण बहुसंख्यक आबादी द्वारा प्रताड़ित किए जा रहे हैं, यह उन्हें नहीं दिख रहा है. क्या सचमुच सप्तमी मंडल और उनकी गोद के बच्चे को वक़्फ़ कानून की कोई जानकारी है ? ये कौन लोग हैं जो इन्हें मार रहे हैं?
सब जानते हैं कि इस से किसे फायदा होगा. जितना अधिक मजहबी तनाव होगा भाजपा को वोट का लाभ होगा. इसलिए उसकी चुप्पी तो समझी जा सकती है. लेकिन तथाकथित सेकुलर फ्रंट के लोग चुप क्यों हैं ? सप्तमी मंडल के पुरखे कभी पूर्वी बंगाल से भारत आए होंगे. अपने देस. मजहब के आधार पर इंडिया बंट गया था. मुसलमानों ने पाकिस्तान हासिल कर लिया. शेष हिस्से ने हिंदुस्तान नहीं, भारत के रूप में अपनी पहचान बनाई. हलाकि बंटवारा तो मजहब के नाम पर हुआ था. मुसलमानों को उनकी आबादी से अधिक की हिस्सेदारी मिल गई थी. अंग्रेजों ने अपने जानते हिन्दू राष्ट्र बना ही दिया था. लेकिन राष्ट्रीय आंदोलन के नेताओं ने तय किया कि हम अपने उन सिद्धांतों को छोड़ेंगे नहीं, जिन्हे लेकर राष्ट्र निर्माण का संघर्ष शुरू किया था. भारत का निर्माण मजहब या धर्म के आधार पर नहीं, धर्मनिरपेक्षता के आधुनिक विचारों के आधार पर होगा. जो मुसलमान यहां से भाग रहे थे, उसे हमारे पुरखों ने रोका. मत जाओ यह देस तुम्हारा भी है. हम ऐसे भारत का निर्माण कर रहे हैं जहाँ सब को विकास के समान अवसर मिलेंगे. कोई जोर-जबरदस्ती किसी पर नहीं होगी. तंगख़याली हिन्दुओं के भी एक तबके में थी. उसी में से एक ने गांधी को गोली मार दी. नेहरू तो आज भी गालियां खा रहे हैं. लेकिन उनके विचारों के साये में जो संविधान बना उस ने सब को आश्वस्त किया.
अब अवसर था हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई जो विभिन्न ख्यालों के लोग थे, वे अपने मज़हबी ख्याल से थोड़ा आगे बढ़ कर भारतीय बनें. समान नागरिक कानून और समझदारी के साथ जीवन जिएं. लेकिन कुछ लोगों की जिद थी नहीं, हम नहीं बदलेंगे, दूसरे बदल जाएं. लेकिन यह कैसे चलेगा. हिन्दुओं को भी बदलना होगा मुसलमानों को भी. यदि नहीं बदले तो तनाव होंगे. यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा.
मेरा आग्रह होगा लोग अपना विवेक जाग्रत करें. सब लोग पहले भारतीय बनें. वक़्फ़ बिल संसद ने पास कर दिया है और राष्ट्रपति ने इसे अनुमति दे दी है. अब लोग सर्वोच्च कचहरी में गए हैं. इसी कचहरी ने जब शाहबानो पर फैसला दिया था तब सरकार और संसद के सामने गुहार लगाई गई थी. इस अंतर्विरोध पर मुस्लिम नेताओं ने कुछ सोचा है ? कोई भी चीज पूर्ण नहीं होता. यदि किसी बिल में कोई चूक हो तो जरूर सुधारा जाना चाहिए. लेकिन मजहबी नेताओं की इस जिद में कोई दम नहीं है कि उनकी मुस्लिम पहचान खंडित न हो. उनका यह भी कहना है कि इसमें गैर मुस्लिम मेंबर की भी गुंजायश है. अखिलेश यादव के शासनकाल में जब एक मुसलमान मंत्री आजम खान को संगम मेले का इंचार्ज बनाया गया था तब तो कोई हंगामा नहीं हुआ था. गंगा-जमुनी और साझा संस्कृति का फलसफा देने वाले लोग भी जब इस वक़्फ़ बिल से रंज हैं तब इसका मतलब है तथाकथित सेकुलर लोगों में भी नए तरह की तंगख़याली घर कर गई है.
तो, पहले मुर्शिदाबाद के दलितों की चिंता करें जो अपने ही मुल्क में शरणार्थी बनने के लिए मजबूर हो रहे हैं. देश में अमन चैन बहाल हो. हर विवाद को बातचीत और न्यायिक प्रक्रिया द्वारा हल किया जाना चाहिए. भारत को भारत रहना है. अब इसे हिन्दू या मुस्लिम राष्ट्र नहीं बनाना है. इसी में सब की भलाई है. हर तरह के मजहबी कट्टरपन के खिलाफ हमें अपनी आवाज बुलंद करनी ही चाहिए.
Recent Post
बिहार मैं 21391 सिपाही भर्ती का रिजल्ट जारी ....
May 09 2025
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार ने गुरुवार को सर्वदलीय ....
May 07 2025
आज का पंचांग - राशिफल 08 मंई , 2025....
May 07 2025
पहलगाम का बदला: : भारतीय सेना ने पाक के नौ आतंकी ठ....
May 06 2025
YOU MIGHT ALSO LIKE
बिहार में अंक-कोड से होगी जातियों की पहचान, 216 जातियों की कोड तय होगी अलग-अलग जाति का आबादी
Apr 04 2023
नारी शक्ति वंदन के आगे?
Sep 21 2023
सरकार बताई बिहार में किस जाति की कितनी आबादी ,अब इसके आगे क्या ?
Oct 02 2023
बिहार मे विद्यालय के समीप अध्यापकों को आवासीय सुविधा सुलभ कराने वाला पहला राज्य बनेगा बिहार
Oct 29 2023
बिहार में 75% आरक्षण को चाहिए " नरेन्द्र मोदी का सुरक्षा कवच"
Nov 09 2023
क्या जेल से कोई सीएम सरकार चलायेगा?
Mar 22 2024
उपराष्ट्रपति से विपक्ष का टकराव उचित या अनुचित?
Aug 09 2024
लोकसभा चुनाव के नतीजे से संभल रही नरेन्द्र मोदी सरकार
Aug 25 2024
बदलाव की ओर देश अग्रसर
Sep 18 2024
वरीय नागरिकों को रेल किराया में मिलने वाली छूट की पुनः बहाली क्यों नहीं?
Oct 24 2024
Top