वरीय नागरिकों को रेल किराया में मिलने वाली छूट की पुनः बहाली क्यों नहीं?

शशिकांत पाण्डेय
महिला वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50 प्रतिशत की छूट और पुरुष और ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों के लिए 40 प्रतिशत की छूट मिलती थी.
रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव का मानना है कि सिनियर सिटीजन को मिलने वाली रियत बहाल करने पर वित्ती बोझ बढेगा।जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में 104 मिलियन वृद्ध लोग (60+ वर्ष) हैं, जो कुल जनसंख्या का 8.6% है। वृद्धों (60+) में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है।


करोना काल में पहले ट्रेनों का परिचालन बंद हुआ तथा कोविड स्पेशल ट्रेनों का परिचालन प्रारम्भ हुआ तथा कोविड स्पेशल ट्रेनों में किसी भी प्रकार  टिकटों पर मिलने वाली रियायतें बंद कर दि गई तथा साधारण श्रेणी का न्यूनतम किराया 10 रु के बजाय 30 रु किया गया ।यही नहीं रेल कर्मचारीयों को मिलने वाली मंहगाई भत्ता तथा सेवानिवृत कर्मचारीयों को मिलने वाली मंहगाई राहत की तीन किस्तें यानी 18 महीने तक रोक ली गईं ।
फ़रवरी 2020 से यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं जो बंद कर दी गई थी ट्रेनों के परिचालन शुरू होने के बाद अगस्त 2021 से पुनः बहाल कर दी गई यही नहीं रेल में मिलने वाली सभी रियायतें मिलने लगी लेकिन वरीय नागरिकों को मिलने वाली रियायतों को बहाल नहीं किया गया । यहां तक कि कर्मचारियों तथा सेवानिवृत कर्मचारीयों को भी मिलने वाले मंहगाई भत्ता एवंग मंहगाई राहत का भुगतान प्रारंभ हो गया जिससे यह साबित होता है कि अब रेल में कोई आर्थिक कठिनाई भी नहीं है।
ज्ञात हो कि वर्तमान भारत सरकार जहां एक तरफ सभी 70 वर्ष के ऊपर के नागरिकों को आयुष्मान स्वास्थ योजना से बिना किसी भेदभाव के जोड़ने जा रही है वही रेल मंत्रालय द्वारा वरीय नागरिकों को मिलने वाली छूट से वंचित रखने का कोई औचित्य समझ नहीं आ रहा है।


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