Sign In
Contact
Patna, 27
o
C
Toggle navigation
देश
बिहार
झारखंड
राजनीति
अपराध
खेल
करियर
कारोबार
पंचांग-राशिफल
लाइफ स्टाइल
विदेश
ओपिनियन
विशेष
Home
Single Post
ब्रिटिश शासन के आईपीसी और सीआरपीसी का नाम बदलने के साथ दंड और न्याय की बदली परिभाषा तय करने को लेकर 3 विधेयक पेश
राजद्रोह का कानून होगा खत्म, नाबालिग के साथ बलात्कार के अपराध के लिए मृत्युदंड
लव जेहाद पर 10 साल की जेल व जुर्मना ,
नई दिल्ली,11 अगस्त। भारत सरकार ने ब्रिटिश शासन में बने तीन कानूनों में व्यापक बदलाव करने का फैसला किया है। इसको लेकर दंड और न्याय के कानूनों की नई परिभाषा तय होगी। गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में तीन ऐसे विधेयक पेश किए। इससे कई कानून बदले जाएंगे, कई कानून खत्म हो जाएंगे और कई नए कानून बनेंगे। इन तीन विधयकों के नाम हैं-भारतीय न्याय संहिता विधेयक,2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम विधेयक2023
लोकसभा में इन 3 विधेयकों को पेश करने के बाद स्टैंडिंग कमेटी में चर्चा के लिए भेज दिया गया. विधेयकों के हिसाब से इंडियन पीनल कोड यानी भारतीय दंड संहिता अब भारतीय न्याय संहिता कही जाएगी।
1862 में देश में ब्रिटिश शासन के दौरान Indian Penal Code (IPC)1860 लागू किया गया था, जिसका नाम अब भारतीय न्याय संहिता 2023 करने का प्रस्ताव है.
इसी तरह Code of Criminal Procedure (CrPC) 1973 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 करने का प्रस्ताव है. CrPC को 1882 में लागू किया गया था, बाद में इसमें 1892 और 1973 में बदलाव किए गए थे. अब पूरा नाम ही बदल रहा है. The Indian Evidence Act 1872 को भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 करने का प्रस्ताव है।
गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि…
कानून में बदलावों से राजद्रोह कानून पूरी तरह से खत्म होगा.
इसके अलावा मॉब लिंचिंग पर भी कानून का प्रावधान है. मॉब लिंचिंग के दोषियों के लिए 7 साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास और मृत्युदंड तक का प्रावधान है.
गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है.
18 साल से कम आयु की बच्चियों से गैंगरेप के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है.
झूठी पहचान बताकर शादी करने वाले के लिए 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
7 साल से अधिक की सजा वाले केस में फॉरेंसिक रिपोर्ट जरूरी होगी.
चेन और मोबाइल स्नैचरों के लिए 10 साल से आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया गया है.
भगोड़ा अपराधियों की गैरमौजूदगी में ट्रायल का भी प्रवाधान किया गया है.
इतना ही नहीं, नए बदलाव में एक अहम बदलाव ये भी है कि लड़की की फोटो वायरल करने पर 3 साल की कैद होगी. इन बदलावों के लिए अलावा कुछ ऐसे बदलाव भी प्रस्तावित हैं, जिसका असर आपको पुलिस जांच की प्रक्रिया में दिखेगा.
सरकार ने पेश विधेयकों में ये प्रवाधान किया कि
जीरो एफआईआर को 15 दिनों के भीतर संबंधित थाने में भेजना होगा. जीरो FIR वो होता है जो आप कहीं भी करा सकते हैं, इसके लिए घटना वाले पुलिस थाने में जाने की जरूरत नहीं होती है. मसलन आपके साथ कोई घटना दिल्ली में हुई और आप गाजियाबाद में रहते हैं तो गाजियाबाद में ही आप जीरो FIR करा सकते हैं.
पुलिस अगर किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेती है या गिरफ्तार करती है तो उसे लिखित में परिवार को सूचना देनी होगी.
पुलिस को 90 दिनों में किसी भी मामले की स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी. यानी बताना होगा कि जांच कहां तक पहुंची.
पुलिस को अब 90 दिन में आरोप पत्र दाखिल करना होगा.
अगर जरूरत होती है तो कोर्ट किसी मामले में 90 दिन अधिक भी दे सकती है यानी कुल 180 दिन के भीतर आरोप पत्र जरूरी होगा.
किसी भी मामले बहस पूरी होने के बाद 30 दिन में फैसला देना ही होगा.
फैसला आने के बाद 7 दिनों में इसे ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा.
गृह मंत्री अमित शाह ने ये तीनों बिल पेश करते हुए कहा कि 2019 से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून को आज के हिसाब से बनाया जाएगा. इसके लिए व्यापक चर्चा की गई है. सभी हाई कोर्ट, यूनिवर्सिटी, सुप्रीम कोर्ट, आईएएस, आईपीएस, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सासंद, विधायक, लॉ यूनिवर्सिटी आदि को पत्र लिखकर उनकी राय मांगी गई है. इसके बाद वो इन विधेयकों को लेकर आए हैं. 475 गुलामी की निशानियों को समाप्त किया गया. इससे लोगों को न्याय मिलने में आसानी होगी.
Recent Post
जमुई के नए डीएम ने राकेश कुमार ने पदभार संभाला ....
Sep 30 2023
बिहार के मंत्री बोले पूरे देश में कमज़ोर वर्ग, दलित....
Sep 30 2023
सुशील कुमार मोदी बोले-ललन सिंह के चलते जदयू के पास....
Sep 30 2023
2000 के नोट बदलने की मियाद एक सप्ताह बढ़ी,अब 07 अक....
Sep 30 2023
YOU MIGHT ALSO LIKE
51 पूर्व और मौजूदा सांसद तथा विभिन्न विधानसभाओं और विधान परिषदों के कुल 71 सदस्य प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने द्वारा दायर धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों का कर रहे सामना
Nov 16 2022
Top