क्या करेंगे विपक्षी एकता के सूत्रधार नीतीशकुमार ?

अरुण कुमार पाण्डेय 
भाजपा-विरोधी गठबंधन I.N.D.I.A. की आज यहां हुई पांचवीं बैठक में बिहार के सीएम एवं जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने संयोजक बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को ही या किसी दूसरे को अध्यक्ष बनाने की सलाह दी।उन्होंने महागठबंधन को जमीनी स्तर पर काम करने यथा शीट शेयरिंग, कामन एजेंजा और कामन कार्यक्रम तय करने पर जोर दिया।
पांचवीं बैठक वर्चुअल संपन्न हुई। 14 दलों के नेताओं में लालू प्रसाद, शरद पवार व अरविंद केजरीवाल शरीक होने वाल प्रमुख रहें।वहीं ममता बनर्जी, अखिलेश यादव व उद्भव ठाकरे बैठक से दूरी बनाये रखने में प्रमुख नाम रहे।
बैठक में मिलजुल कर सीट शेयरिंग शीघ्रता में करने पर जोर दिया।
 कहें तो , न तो नीतीश कुमार की मुराद पूरी हुई और ना ही जदयू की पीएम का चेहरा बनाने मांग पर मुहर लगी। नीतीश कुमार ने ही पिछले वर्ष जून पटना में बीजेपी विरोधी दलों को एकजुट करने की पहल की थी।यह रंग भी लाई। I.N.D.I.A.गठबंधन बन गया पर नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की चर्चा भर होती रही। क्षेत्रीय दलों के नेताओं की महत्वाकांक्षा की होड में नीतीश पिछड़ गये । ममता बनर्जी और अरविंंद केजरीवाल ने चौथी बैठक में बैठकी कर दी।ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खरगे को महागठबंधन का पीएम चेहरा का प्रस्ताव किया और लगे हाथ अरविंंद केजरीवाल ने समर्थन कर दिया।लालू चुप रहे।सोनिया-राहुल हतप्रभ रहे।12 दलों दलित चेहरा के रूप में खरगे का समर्थन किया। बात आई-गई हो गयी।मिलजुलकर चुनाव लडने और बहुमत मिलने पर चेहरा तय करने की रणनीति अपनाने पर सहमति बनी।
परंतु नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की अपेक्षा पूरी करने में देर हो चुकी थी। बिहार की तरह देश-व्यापी जाति आधारित गणना को महागठबंधन का एजेंडा बनाने का प्रस्ताव अंगीकार नहों होने से भी नीतीश कुमार असहज थे।इसी कारण जब प्रस्ताव आया तो उन्होंने संयोजक बनने से इंकार कर दिया। यह खुलासा मंत्री संजय झा ने किया।
 इधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फिर पाला बदल एनडीए के साथ जाने और बिहार की महागठबंधन सरकार के भविष्य को लेकर राजनीति गलियारे में चर्चा और अफवाह थमने का नाम नहीं ले रहा। जदयू में एक खेमा फिर भाजपा के साथ होने का हिमायती है। तब सवाल उठना लाजिमी है कि क्या 
कुछ बड़ा उलटफेर होगा? इस बीच अचानक 13 जनवरी को भाजपा-विरोधी गठबंधन I.N.D.I.A. की पांचवीं बैठक हो गई। विपक्षी गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमार के संयोजक पद का ऑफर ठुकराने का भी राजनीतिक निहितार्थ निकाला जा रहा है। अब बिहार ,यूपी और पश्चिम बंगाल सीट शेयरिंग सुलझाने की चुनौती है। दिल्ली में आज कांग्रेस और आप के बीच दिल्ली-पंजाब को लेकर बातचीत हुई है
राहुल गांधी और अरविंंद केजरीवाल के बीच हुई बैठक का सकारात्मक नतीजा आने की उम्मीद बंधी है।
 नीतीश कुमार बार-बार सीट शेयरिंग जल्दी करने की चाहत जता चुके हैं। वे शुरू से कहते रहे है उन्हे किसी पद की लालसा या इच्छा नहीं है। यह अलग बात है कि उनकी पार्टी की इच्छा उन्हें पीएम का प्रत्याशी घोषित करवाने की है।
ललन सिंह, अशोक चौधरी, विजय कुमार चौधरी,संजय झा,केसी त्यागी सरीखे नेता नीतीश कुमार को पीएम बनने का योग्य बताकर लगातार इसकी वकालत करते रहें हैं।
अब लाख टके का सवाल बना है कि क्या सीट शेयरिंग मुमकिन है या तकरार के बीच गठबंधन का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा? बिहार में लोकसभा की 40 सीटों पर जदयू की खुली दावेदारी से सहयोगी उलझन में हे।इस बीच अरुणाचल प्रदेश में पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से जदये ने अपना प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस की परेशानी बढा दी है केन्द्रीय मंत्री किरण रिजुजु की जीती इस सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी।नीतीश कुमार ने अध्यक्ष बनते ही परिषद सभापति देवेशचंद्र ठाकुर को सीतामढी से प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर दी है। हालांकि इसके बाद जदयू सहित सहयोगी दलों के कई नेताओ ने देवेशचंद्र ठाकुर का चुनाव में विरोध करने की ठान रखी है।


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