के के पाठक सब पर भारी?
शिक्षा में सुधार के मिशन मोड मोड में केके पाठक ने एक ओर सीएम की नहीं मानी वहीं दूसरी ओर राज्यपाल से भी पंगा लिता 
अरुण कुमार पाण्डेय


कड़क मिजाज के के पाठक की ईमानदारी के मुरीद हैं सीएम नीतीश कुमार 
पटना,25 फरवरी।शिक्षा में सुधार के मिशन मोड में अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने एक ओर सीएम की नहीं मानी वहीं दूसरी ओर राज्यपाल से भी पंगा ले लिता है।  तीन दिनों सरकारी छुट्टी में नयी दिल्ली गये के के पाठक के निर्देश पर उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक ने पूर्णिया और मगध विश्वविद्यालय से जबाब तलव कर राजभवन को भी आईना दिखा दिया है।राज्यपाल कुलाधिपति के नाते विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक नियंत्रक हैं कुलधति,प्रति कुपति और कुलसचिव की नियुक्त का अधिकार राजभवन को हैं 
वहीं राज्य सरकार का मानना है कि विश्वविद्यालय  की स्थापना खर्च यथा वेतन,पेशन व विकास योजनाओं का खर्च वहन उसके द्वारा होता है।इसलिए इसका हिसाब-किताब लेना-देखना उसका दायित्व है।
उच्च शिक्षा निदेशक डा रेखा कुमारी ने पत्र में कहा है कि शिक्षा विभाग विश्वविद्यालयों का प्शासी विभाग है।विभाग की बैठकों में आना  विश्वविद्यालय पदाधिकारी का दायित्व है।
 शिक्षा विभाग ने बिलंवित परीक्षाओं लेकर  कुलपतियों की  28 फरवरी को बैठक में आना अनिवार्य कहा है नहीं आने पर कार्रवाई के लिए भी आग्रह किया गया हैं। विभाग ने कहा है 
वही  इस बैठक को लेकर राजभवन से अनुमति मांगने की कार्रवाई को मूर्खतापूर्ण मानते पूर्णिया के  कुलपति और मगध के कुलपति से विभाग ने कहा है यह किसी भी परिस्थिति में अंछनीय नहीं है। 
राजभवन ने विभाग के साथ   की  बैठक में कुलपतियो को भाग लेने की मनाही करने के साथ इसे विश्वविद्यालय की स्वायत्ता में हस्तक्षेप माना है।
अब यह देखना हा शिक्षा विभाग की बैठक में राज्यपाल की बात मान कुलपति नहीं  जाते हैं या सरकार की कार्रवाई के भय से बैठक मे  शरीक होते है।राजभवन और सरकार के बीच टकराव का एक नया मुद्दा बन गया है
पहले कुलपति की नियुक्ति कि विभाग द्वरा विज्ञापन निकालने पर विविद हुआ है।शीएम नीतीश कुमार ने राजभवन जाकर इस विवाद को सरकारी विज्ञापन वापस कर समाप्त किया था।
स्कूलों की टाइमिंग को लेकर अलग विवाद है
स्कूलों 10 से 4 बजे तक पडाई और 15 मिनट पहले और 15 मिनट बाद तक शिक्षकों की कार्यावधि करने संबंधी सीएम नीतीश का आदेश केके पाठक नहीं मान रहे
अभी 9 बजे से 5 बजे तक शिक्षक की कार्यावधि लागू है।विधानमंडल के दोनों सदनों में सरकार विपक्ष की आलोचना की शिकार बनी है
सरकार की फजीहत हो रहक है।कड़क मिजाज के के पाठक की ईमानदारी के मुरीद हैं सीएम नीतीश कुमार कह चके है की विपक्ष की मांग पर केके पाठक को नहीं हटाथें ।वह अच्छा का कर रहे हैंमौजूदा प्रकरण में कहा जा सकता है का केके पाठक सब पर भारी हैं 



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