बिहार के डिग्री कॉलेजों में नये शैक्षणिक सत्र से इंटर की पढ़ाई बंद

पटना।बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के उपायों तहत एनडीए सरकार ने पिछले कई दशकों से कॉलेजों में चल रही इंटर की पढ़ाई पर रोक लगाने का फैसला लिया  है। इस संबंध में बीते मंगलवार को नीतीश कैबिनेट ने मंजूरी प्रदान की थी। अब शिक्षा विभाग ने अधिकारिक रूप से इस पर आदेश जारी कर दिया है। जिसके बाद लगभग चार दशक से भी ज्यादा समय चल रही शिक्षा व्यवस्था खत्म कर दी गई है।

शिक्षा विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन में बताया गया  है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986/92 के तहत देश में 10+2+3 शिक्षण व्यवस्था का नीतिमूलक निर्णय है। वर्तमान में राज्य मे (+2) स्तर की पढ़ाई विद्यालयों, महाविद्यालयों, अंगीभूत महाविद्यालयों तथा स्वीकृति प्राप्त महाविद्यालयों में दी जा रही है। विश्वविद्यालय अधिनियम में प्रावधानित है कि महाविद्यालयों से इन्टर की शिक्षा को अलग किया जायेगा। उक्त प्रावधान के तहत (+2) विद्यालयों एवं राजकीय / राजकीयकृत माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान, कला, वाणिज्य तथा अन्य प्रासंगिक विषयों के लिए (+2) स्तर की पढ़ाई प्रारंभ करने एवं महाविद्यालयों, अंगीभूत महाविद्यालयों तथा स्वीकृति प्राप्त महाविद्यालयों में दी जा रही (+2) स्तर की पढ़ाई को अलग करने की आवश्यकता है।


2006 में बिहार में लिया गया था फैसला

नीतीश सरकार ने वर्ष 2006 में ही पटना विश्वविद्यालय में अवस्थित विभिन्न महाविद्यालयों से इन्टर स्तर की शिक्षा समाप्ति कर दी थी।इसके  के बाद अन्य विश्वविद्यालयों के अंतर्गत महाविद्यालयों  से (+2) स्तर की शिक्षा को अलग किया जाना था, ताकि राज्य के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में (+2) स्तर की शिक्षा दी जा सके। परन्तु उस समय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में आधारभूत संरचना की कमी एवं पर्याप्त संख्या में शिक्षकों के अभाव में पटना विश्वविद्यालय के अतिरिक्त अन्य विश्वविद्यालयों से (+2) स्तर की शिक्षा की समाप्ति नहीं हो सकी। अभी इंटर की पढाई तीन स्तरों - इंटर स्कूलों,इंटर कालेजों और डिग्री कालेजों में रही है।

राज्य सरकार का अब मानना है कि  उच्च माध्यमिक विद्यालयों के आधारभूत संरचना का बड़े पैमाने पर निर्माण कराया गया है एवं निर्माण कार्य चल रहा है। साथ ही विशेष अभियान चला कर 67,961 उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं 65,737  माध्यमिक शिक्षक का नियोजन/नियुक्ति की गयी है। वर्तमान में आधारभूत संरचना एवं विषय विशेष के उच्च माध्यमिक शिक्षकों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि राज्य में अवस्थित केवल उच्च माध्यमिक विद्यालयों में (+2) स्तर की शिक्षा का संचालन किया जाए।

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