मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की  पिछड़े तथा अति पिछड़े वर्ग को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण की सुविधा के लिए  सरकारी नौकरियों में आरक्षण के 50 प्रतिशत के दायरे को बढ़ाने की वकालत
पटना,08 नवम्बर। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को पिछड़े तथा अति पिछड़े वर्ग को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण की सुविधा केलिए  सरकारी नौकरियों में आरक्षण के 50 प्रतिशत के दायरे को बढ़ाने की वकालत की है।
उन्होंने मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत में कहा कि ओबीसी ( पिछड़ा) तथा ईबीसी (अति पिछड़ा) को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण की सुविधा नहीं मिल पाती है। जाति आधारित गणना कराए जाने की बात भी इसी को केंद्र में रखकर है। एक बार संख्या सामने आने से उनके लिए योजना बनाने में सुविधा होगी। 
अधिवेशन भवन में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होकर लौटने के क्रम में संवाददाताओं से बातचीत के क्रम मे उन्होंने यह राय दी।
10 प्रतिशत आरक्षण पर फैसला सही  
मुख्यमंत्री से सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बारे में प्रश्न किया गया था जिसके तहत ईडब्ल्यूएस के दस प्रतिशत आरक्षण के निर्णय को सही ठहराया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह तो पहले ही हो गया था। यह ठीक है। हमलोगों ने भी यह कहा था। अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को आरक्षण हमलोग उनकी संख्या के आधार पर देते है। कुल मिलाकर 50 प्रतिशत आरक्षण है। ओबीसी और ईबीसी को उनकी संख्या के हिसाब से आरक्षण नहीं मिल पाता। इसलिए उनकी यह राय है कि आरक्षण का जो दायरा 50 प्रतिशत तक है, उसे और आगे बढ़ाना चाहिए। 
देश स्‍तर पर हो जातीय गणना 
मुख्यमंत्री ने कहा कि जातियों की गणना हो जाने से सभी बातें सामने आएंगी। इसलिए हमलोग जाति आधारित जनगणना  की बात कर रहे थे। केंद्र सरकार सहमत नहीं हुई तो इसे हमलोग राज्य स्तर पर करा रहे हैं। यह जरूरी है कि जाति आधारित गणना ठीक से हो जाए। हमलोग केवल जाति आधारित गणना ही नहीं करा रहे हैं, बल्कि आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी ली जाएगी। इसके आधार पर हम किसी भी बिरादरी के गरीब को मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि देश के स्तर पर भी जाति आधारित गणना होनी चाहिए। जाति आधारित गणना को लेकर राज्य सरकार ने अपनी प्रक्रिया आरंभ कर दी है। सामान्य प्रशासन विभाग को इसके लिए नोडल महकमा बनाया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसकी प्रक्रिया को भी तय कर दिया है।


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