राहुल गांधी की सभा में कांग्रेस नेता उपेक्षित!
 पटना,05फरवरी.लोकसभा में विपक्ष  नेता एवं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने पार्टी के किसी भी नेता को संबोधन का मौका नहीं मिला। 19 दिनों में दूसरी बार पटना आये राहुल   के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल आयोजित कार्यक्रम में कंई कांग्रेस नेतांओं को मंच पर जगह नहीं मिली। मोहन प्रकाश,डा शकील अहमद ,अखिलेश प्रसाद सिंह, मदन मोहन झा,हरखू झा सरीखे नेता कार्यक्रम  में दिखे। राहुल की सोशल 
इंजीनियरिंग में देश  के वर्तमान सत्ता तंत्र और संस्थाओं में दलितों तथा वंचितों की  भागीदारी बढाने की है।                                     15 मिनट के संबोधन में उन्होंने कहा हकमारी  की शिकायत के साथ कहा कि  दलितों, अल्पसंख्यकों, समाज के कमजोर वर्गों की सटीक संख्या पता लगाने के लिए पूरे भारत में जाति आधारित जनगणना की आवश्यकता है। हम बिहार वाला नहीं तेलांगना वाला जातीय सर्वे करायेंगे
उन्होंने कहा कि मैं एक ऐसा दिन देखना चाहता हूं, जब हिंदुस्तान में संस्थाओं की लीडरशिप में दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोग दिखें।  मैं वो दिन देखना चाहता हूं, जब देश की टॉप 10 कंपनियों का मालिक दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग से हो।  मैं इस लक्ष्य को पाने के लिए लड़ रहा हूं और लड़ता रहूंगा। 
राहुल ने कहा कि दलितों को प्रतिनिधित्व तो दिया गया है लेकिन अगर सत्ता संरचना में भागीदारी नहीं है तो इसका कोई मतलब नहीं है। अगर मंच के पीछे से निर्णय लिए जाएं तो मंच पर बैठाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि आज अलग-अलग जाति के लोगों को टिकट देना एक फैशन बन गया है, ये बात पीएम मोदी भी कहते हैं। लेकिन फिर, आपने (पीएम मोदी) विधायकों की शक्तियां छीन लीं। यहां तक कि लोकसभा सांसदों के पास भी कोई निर्णय लेने की शक्ति नहीं है। आपने मंत्री बनाया लेकिन ओएसडी आरएसएस से है। सवाल नियंत्रण और भागीदारी का उन्होंने कहा कि आज भारत की सत्ता संरचना में, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, कॉर्पोरेट हो, व्यापार हो, न्यायपालिका हो, आपकी भागीदारी कितनी है?
कांग्रेस नेता ने कहा कि हम अंबेडकर जी और जगलाल चौधरी जी के विचार और उसूलों की बात करते हैं। लेकिन सवाल है कि अंबेडकर जी और जगलाल चौधरी जी के जो विचार थे, वे कहां से आते थे? सच्चाई ये है कि.. दलितों के दिल में जो दुख और दर्द था, अंबेडकर जी और जगलाल चौधरी जी ने उस आवाज को उठाया था। उन्होंने कहा कि आज भारत के पॉवर स्ट्रक्चर- शिक्षा, स्वास्थ्य, कार्पोरेट या ज्यूडिशरी में दलित वर्ग की कितनी भागीदारी है?  BJP रिप्रेजेंटेशन की बात करती है, लेकिन भागीदारी के बिना रिप्रेजेंटेशन का कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा कि ये बिलकुल ऐसा ही है- जैसे मैंने आपके बीच में से पांच लोगों को स्टेज पर बैठा दिया, लेकिन उनके फैसले कहीं और से लिए जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें स्टेज पर बैठाने का कोई मतलब नहीं है। मोदी सरकार में भी यही हो रहा है- आप लोगों को मंत्री बना देते हैं, लेकिन OSD तो RSS का होता है। उन्होंने कहा कि देश के बड़े मीडिया हाउस के मालिकों और मैनेजमेंट की लिस्ट निकालिए। उस लिस्ट में आपको एक भी दलित वर्ग का व्यक्ति नहीं मिलेगा, इसीलिए मीडिया में आपके मुद्दे नहीं दिखते हैं।

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