कांग्रेस को 24 साल बाद मिला गैर-गांधी अध्यक्ष, मल्लिकार्जुन खरगे बने अध्यक्ष,शशि थरूर को हराया
मल्लिकार्जुन खड़गे को 7897 वोट मिले. जबकि उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे शशि थरूर को 1072 वोट मिले. वहीं, 416 वोट अमान्य हो गए. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को हुई वोटिंग में कुल 9385 डेलिगेट्स ने वोट डाले थे.
कांग्रेस को 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिला. इससे पहले सीताराम केसरी गैर गांधी अध्यक्ष रहे थे. कांग्रेस पार्टी के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में आज मल्लिकार्जुन खरगे निर्वचित घोषित हुए।
 मअध्यक्ष पद के लिए अब तक 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में चुनाव हुए हैं। इस बार पूरे 22 सालों के बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है
इस बार का मतदान कई मायनों में ऐतिहासिक रहा क्योंकि इसके जरिए 1998 से सर्वाधिक लंबे समय तक पार्टी अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी के उत्तराधिकारी का चयन किया गया। बीच के दो साल 2017 और 2018 में राहुल गांधी अध्यक्ष थे।
करीब 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई नेता देश की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष चुना गया है। इस बार मुकाबला वरिष्ठ पार्टी नेताओं मल्लिकार्जुन खरगे और शशि थरूर के बीच रह है।
 पार्टी मुख्यालय में मतगणना बुधवार सुबह निर्धारित समय 10 बजे के कुछ देर बाद 10.20 बजे शुरू हुई। इस मौके पर अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर के प्रस्तावक सांसद कार्ति चिदंबरम और कुछ अन्य चुनावी एजेंट मौजूद रहा।. दूसरे उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खरगे की तरफ से सांसद सैयद नासिर हुसैन और कुछ अन्य नेता मौजूद रहे।पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कर्नाटक कांग्रेस के कद्दावर दलित नेता मल्लिकार्जुन खरगे को गांधी-परिवार के स्वामीभक्ति के रूप में ये प्रसाद मिला है। वे 50 साल से लगातार सक्रिय राजनीति करतेे रहे हैं, केवल एक बार चुनाव हारने की नौबत आई।मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म 21 जुलाई 1942 को हुआ था।2008 तक लगातार 9 बार वह कर्नाटक विधानसभा के सदस्य रहे. 2009 में उन्होंने कर्नाटक की गुलबर्गा लोकसभा सीट से जीत हासिल की. 2014 में वह एक बार फिर से लोकसभा के लिए चुने गए. 2009 में मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. 2014 में जब बीजेपी सत्ता में आई तो वह लोकसभा में पार्टी के नेता बने। 2019 में मोदी लहर में उन्हें बीजेपी उम्मीदवार से शिकस्त खानी पड़ी। हालांकि कांग्रेस ने उनपर भरोसा जताते हुए जल्द ही उन्हें राज्यसभा में भेज दिया।

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